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मंदोदरी के गांव में पूजे जाते हैं रावण

मंदसौर | एजेंसी: देश में भले ही दशहरे के मौके पर बुराइयों के प्रतीक रावण के पुतलों का दहन किया जाता हो, मगर मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के रावनरुं दी गांव में रावण की पूजा होती है. इसका एक विशिष्ट कारण है. ऐसी मान्यता है कि यह गांव रावण की पत्नी मंदोदरी का गांव है, और इसीलिए यहां के लोग अपने दामाद, रावण की पूजा करते हैं.

मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के रावनरुं दी गांव में नामदेव वैष्णव समाज के लोग दशानन की पूजा करते हैं. इस गांव में रावण की भव्य प्रतिमा भी है और वे रावण को अपने आराध्य के तौर पर पूजते हैं. यह सिलसिला वर्षो से चला आ रहा है.

रावनरुं दी के निवासियों मानना है कि मंदोदरी उनके इलाके की बेटी थी. इस लिहाज से रावण उनके दामाद हुए. यही कारण है कि खानपुर क्षेत्र में इस गांव के लोगों ने रावण की प्रतिमा भी स्थापित की है. पूर्व में स्थापित रावण की 25 फिट की एक प्रतिमा 1982 में आसमानी बिजली के गिरने से नष्ट हो गई थी.

एक प्रतिमा गिरने के बाद 2005 में 35 फिट ऊंची रावण की दूसरी प्रतिमा स्थापित की गई. इस गांव में रावण के बेटे मेघनाद की भी पूजा की जाती है. यहां रावण का वध तो होता है, मगर वध करने से पहले गांववासी रावण से क्षमा मांगते हैं. यहां की महिलाएं विशेष रूप से अपने दामाद की पूजा करती हैं.

स्थानीय नगर पालिका ने शहर के शिवना नदी के किनारे खानपुरा मोहल्ले में रावण की 35 फिट ऊंची प्रतिमा बनाई है. सीमेंट और कंक्रीट से बनी यह प्रतिमा बैठी हुई मुद्रा में है. करीब ढाई लाख रुपये की लागत से बनी इस प्रतिमा के दोनों ओर चार-चार मुख हैं और प्रमुख मुख के ऊपर दसवें सिर के रूप में गधे का मुंह बनाया गया है.

मान्यता के मुताबिक, रावण की प्रतिमा के सामने आज भी लोग यहां मन्नत मांगने आते हैं और मन्नत पूरी होने पर प्रसाद चढ़ाते हैं. इसके साथ-साथ दशहरे पर हर साल शहर में रावण दहन के कार्यक्रम भी होते हैं.

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