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जिंदल को कोल ब्लॉक किसकी करतूत?

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: पूर्व कोयला राज्यमंत्री ने अदालत में बयान दिया है कि जिंदल को कोल ब्लॉक देने का फैसला मनमोहन सिंह का था. पूर्व कोयला राज्यमंत्री राव के वकील ने शुक्रवार को अदालत को बताया कि राज्यमंत्री के रूप में वे केवल पत्र को आगे बढ़ाते थे. जाहिर है कि पूर्व कोयला राज्यमंत्री के इस बयान से मनमोहन सिंह की परेशानियां बढ़ सकती हैं. गौरतलब है कि पूर्व केंद्रीय कोयला राज्य मंत्री दासारि नारायण राव ने शुक्रवार को एक अदालत में कहा कि झारखंड के अमरकोंडा मुर्गादंगल कोयला ब्लॉक को दो कंपनियों को आवंटित करने का फैसला तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लिया था. मामले में आरोपी राव ने कहा कि जिंदल स्टील एवं गगन स्पंज को ब्लॉक आवंटित करने का फैसला मनमोहन सिंह ने लिया था.

राव के लिए जमानत की मांग करते हुए उनके वकील ने विशेष न्यायाधीश भरत पाराशर से कहा कि उद्योगपति नवीन जिंदल की कंपनी जिंदल स्टील और गगन स्पंज को ब्लॉक आवंटित किए जाने के समय सिंह के पास कोयला मंत्रालय का प्रभार था.

वकील ने कहा कि इस मामले में राव की कोई भूमिका नहीं थी. उस समय कोयला राज्यमंत्री के रूप में वे सिर्फ पत्र को आगे बढ़ाते थे.

राव ने अदालत से कहा, “यह फैसला प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा लिया गया था, मेरे द्वारा नहीं.”

इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने राव, नवीन जिंदल, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा तथा सात अन्य के विरुद्ध आरोपपत्र दाखिल किया है. उन्हें शुक्रवार को जमानत दे दी गई.

यह मामला झारखंड के अमरकोंडा मुर्गादंगल ब्लॉक को जिंदल स्टील तथा गगन स्पंज को आवंटित किए जाने से संबंधित है.

सीबीआई के मुताबिक, 35वीं स्क्रीनिंग कमेटी ने आवंटन की सिफारिश की थी.

सीबीआई के एक अधिकारी के मुताबिक, “आरोप है कि दिल्ली की दो कंपनियों ने ब्लॉक हासिल करने के लिए गलत तथ्य पेश किए थे. साथ ही दिल्ली की कुछ कंपनियों ने हैदराबाद की कंपनी में निवेश किए थे.”

आवंटन की प्रक्रिया के समय 2006 से 2009 तक राव कोयला राज्य मंत्री थे.

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