बस्तर

माओवादियों ने लगाया झूठे मुठभेड़ का आरोप

रायपुर | संवाददाता: माओवादियों ने पुलिस पर झूठे मुठभेड़ में आदिवासियों को मारने का आरोप लगाया है. सीपीआई माओवादी के दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प ने अपने एक बयान में कहा है कि मिशन-2016 के नाम पर पुलिस झूठा प्रचार कर रही है.

माओवादी प्रवक्ता विकल्प के अनुसार 4 जनवरी 2016 क कोंडागांव ज़िले के कुदूर साप्ताहिक बाज़ार से वेड़मा गांव के आदिवासी किसान जैत कोर्राम व कुदूर गांव के बोटी कश्यप को डीआरजी द्वारा सैकड़ों लोगों के सामने पकड़ कर ले जाया गया. अगले दिन 5 जनवरी की सुबह दोनों की हत्या कर दी गई. इसके बाद अखबारों में पुलिस के हवाले से खबर प्रकाशित की गई कि 5 लाख के इनामी एलजीएस डिप्टी कमांडर जैत और 3 लाख के इनामी बोटी को पुलिस ने एक मुठभेड़ में मार गिराया है.

इसी तरह 17 दिसंबर को धनोरा के मडमनार गांव के सन्नारु कचलाम को पुलिस घर से उठा कर ले गई और अगले दिन वयानार थाने के केज्जुम के पास उसकी हत्या कर दी गई. पुलिस के हवाले से अखबारों में खबर प्रकाशित हुई कि 8 लाख के इनामी बेनूर एलओएस कमांडर रनादेर को मार डाला गया. माओवादियों ने स्वीकार किया है कि कचलाम पार्टी में था लेकिन 2007 में उसने पार्टी छोड़ दी थी और गांव में गायता यानी भूमि पुजारी और किसानी का काम करते हुये जीवन यापन कर रहा था.

अपने आरोप में माओवादी प्रवक्ता विकल्प ने कहा है कि 2 नवंबर 2015 को धनोरा थाना के कोडेली के आदिवासी किसान बामन पोयानी को खेत से उठा कर ले जाया गया और उसे नारायणपुर थाने में 15 दिनों तक लगातार प्रताड़ित किया गया. बाद में 17 नवंबर को उसके द्वारा आत्महत्या की बात कही गई. जन आंदोलन के बाद इस मामले में 4 पुलिस जवानों को लापरवाही के नाम पर निलंबित किया गया.

30 नवंबर 2015 को अलमे़ड़ा में हुये कथित पुलिस मुठभेड़ पर भी माओवादियों ने सवाल खड़े किये हैं. माओवादी प्रवक्ता का कहना है कि गांव के मोटू और रेंगू को रास्ते से पकड़ कर उनकी हत्या कर दी गई और उसे मुठभेड़ कह कर प्रचारित किया गया.

इसी तरह 26 सितंबर 2015 को बीजापुर ज़िले के गंगालूर थाना के पुंबाड़ से आदिवासी नेता मंगु पोट्टावी को पुलिस ने पकड़ा और इनामी माओलादी बता कर उसकी हत्या कर दी.

माओवादियों ने आरोप लगाया है कि बस्तर के आईजी पुलिस एसआरपी कल्लूरी माओवादियों के खिलाफ झूठ गढ़ रहे हैं. अपने बयान में माओवादियों ने कहा है कि 8 दिसंबर 2015 को जब सशस्त्र बल के जवानों ने सुकमा ज़िले के टेट्टेमड़गू गांव पर हमला किया था, तब माओवादियों की पीपुल्स गुरिल्ला आर्मी ने जवाबी कार्रवाई करते हुये 5 जवानों को घायल कर 3 किलोमीटर तक खदेड़ दिया था. लेकिन पुलिस ने मीडिया को जानकारी दी कि इस मुठभेड़ में 15 से 20 माओवादी मारे गये. इसके अलावा इस घटना में शामिल जवानों को इनाम व प्रमोशन देने की भी घोषणा की गई.

माओवादियों ने बीजापुर के गंगालूर थाना के तोड़का में चार माह की एक बच्ची को कथित रुप से पीट-पीट कर मार डालने के मामले में सफाई देते हुये इसे पूरी तरह से झूठा बताया है.

विकल्प का दावा है कि दिसंबर के पहले सप्ताह में हुई इस घटना में तोड़का के एक परिवार की महिला ने पी हुई हालत में बगल में सो रही अपनी बच्ची पर लड़खड़ाकर गिर गई थी, जिससे मासूम बच्ची की मौत हो गई थी. जिस परिवार में मासूम की मौत हुई, उस परिवार के मुखिया को पहले सीपीआई माओवादी ने जन अदालत में मौत की सज़ा दी थी.

माओवादी नेता विकल्प ने अपने बयान में बड़ी संख्या में महिलाओं के साथ सुरक्षाबल के जवानों द्वारा कथित यौन प्रताड़ना का भी आरोप लगाया है.

माओवादी प्रवक्ता ने मीडिया से अपील करते हुये कहा है कि पुलिस के बयानों को एकतरफा छाप कर पत्रकारिता के मूल्यों को नज़रअंदाज न करें और अखबारों में खबरों की विश्वसनीयता को बरकरार रखें, भले ही राजनीतिक विश्वास अपनी जगह अलग रहे.

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