राष्ट्र

गणपति भारत का सबसे बड़ा इनामी

रायपुर | संवाददाता: इस देश में गणपति पर सबसे अधिक कोई साढ़े तीन करोड़ का इनाम है. गणपति यानी मुपल्ला लक्ष्मण राव. माओवादी संगठन सीपीआई माओवादी के महासचिव गणपति को लेकर पुलिस के पास जो भी सूचनाएं हैं, अब वो केवल इतिहास भर हैं.

मुपल्ला लक्ष्मण राव ऊर्फ गणपति की एक धुंधली तस्वीर भर पुलिस के पास है. जिसके सहारे 9 राज्यों की पुलिस गणपति को तलाश रही है. गणपति पर 20 अगस्त से पहले छत्तीसगढ़ सरकार ने 12 लाख रुपये का इनाम रखा था. इसके बाद इनाम की यह रक़म 20 अगस्त को 60 लाख रुपये कर दी गई. इसके बाद 11 सितंबर को यह रक़म 1 करोड़ रुपये कर दी गई.

महाराष्ट्र सरकार ने पिछले महीने ही गणपति पर एक करोड़ रुपये की रक़म की घोषणा की थी. इसके बाद केंद्र सरकार ने भी एक करोड़ रुपये की रक़म गणपति के सिर के लिये घोषित की. दूसरे राज्यों में भी गणपति पर 10 लाख से 30 लाख तक की इनाम की रक़म घोषित है.

तेलंगाना के बीरपुर में 1949 को ऊंची जाति के वेलमा किसान परिवार में जन्मे गणपति ने 1970 में एसआरआर कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई करने के बाद 71 से 74 तक ज़िला परिषद हाईस्कूल में बतौर शिक्षक काम किया.

इस दौरान बीएड करते हुये गणपति की मुलाकात आंध्र के इलाके में माओवाद को एक अंजाम तक पहुंचाने की दिशा में काम कर रहे कोंडापल्ली सीतारमैय्या और केजी सत्यमूर्ति से हुई.

मुलाकात और आंदोलन का सिलसिला शुरु हुआ और वह जा कर ठहरा आपातकाल में, जब गणपति को पुलिस ने गिरफ्तार किया और गणपति को 13 महीने तक जेल में रहना पड़ा. 1977 में जेल से छूटने के बाद गणपति के फिर से माओवादी आंदोलन में कूदने के प्रमाण पुलिस को मिले. गणपति को गिरफ्तार किया गया और 1979 में गणपति को जमानत मिली.

1979 में जमानत पर रिहाई अब इतिहास की बात है और उस दिन के बाद से पुलिस ने गणपति को कभी किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में आज तक नहीं देखा.

खबरें बताती हैं कि जमानत पर रिहा होने के बाद गणपति ने पेद्दापल्ली दलम बना कर करीमनगर में माओवादी हिंसा की घटनाओं को अंजाम देना शुरु किया. 1980 से 1984 तक गणपति को माओवादी संगठन की ज़िला कमेटी का सदस्य बन कर रहना पड़ा लेकिन जल्दी ही आंध्र और संगठन के भीतर गणपति की तूती बोलने लगी. 1985 में डिवीजनल कमांडर और 1987 में गणपति को आंध्रप्रदेश की कमेटी का महासचिव बना दिया गया.

नौंवे दशक में पीपुल्स वार ग्रुप में शीर्ष पद पर पहुंचने के बाद गणपति की सबसे बड़ी उपलब्धि 21 सितंबर 2004 को सामने आई, जब एमसीसी और पीपुल्सवार ग्रुप का विलय हुआ और नये संगठन सीपीआई माओवादी का जन्म हुआ.

गणपति को लेकर जितनी मुंह उतनी बातें हवा में तैरती रहती हैं. बूढ़ा गणपति बीमार है, गणपति को गैस की बीमारी है, आंखें कमज़ोर हो गई हैं, चलना-फिरना मुश्किल हो गया है, संगठन में सेंट्रल कमेटी के लोगों से गणपति के मतभेद हैं, यहां तक कि गणपति की मौत की खबरें भी सामने आईं. लेकिन अलग-अलग राज्यों में होने वाली अधिकांश बड़ी माओवादी वारदात के बाद गणपति का नाम उछल कर फिर सामने आ जाता है.

अब छत्तीसगढ़ में पिछले दो महीनों में लगभग 300 माओवादियों की गिरफ्तारी या उनके कथित आत्मसमर्पण के दौर में माओवादी नेताओं के सिर पर इनाम की राशि बढ़ाये जाने से क्या फर्क पड़ता है, यह देखना दिलचस्प होगा.

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