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दलित शब्द का उपयोग न करे टीवी

नई दिल्ली | संवाददाता: केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने टीवी चैनलों को सलाह दी है कि वह बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए दलित शब्द के बजाए शेड्यूल कास्ट्स शब्द का इस्तेमाल करें. बॉम्बे हाईकोर्ट ने जून में केन्द्रीय मंत्रालय को कहा था कि वह मीडिया को दलित शब्द का इस्तेमाल करने से रोकें. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अभी प्राइवेट टीवी चैनलों को ही यह सलाह दी है. हालांकि यह अभी तक साफ नहीं है कि अखबार और विभिन्न पत्रिकाओं को भी ऐसे ही दिशा-निर्देश दिए गए हैं या नहीं.

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अपने आदेश में कहा है कि बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देश के मुताबिक मीडिया को दलित शब्द के इस्तेमाल से बचने की सलाह दी जाती है. इसके स्थान पर मीडिया संवैधानिक टर्म Scheduled Caste (SC) का इस्तेमाल करें. इसके साथ ही आधिकारिक लेन-देन, सर्टिफिकेट आदि पर भी एससी शब्द का इस्तेमाल किया जाए. यह निर्देश संविधान के आर्टिकल 341 के तहत दिया गया है.

मंत्रालय ने इस बात का जिक्र नहीं किया है कि यदि कोई मीडिया संस्थान निर्देशों का पालन नहीं करता है तो उसके खिलाफ क्या कारवाई की जाएगी? बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देश के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया से भी पूछा था कि क्या कोर्ट के निर्देशों के बाद दलित शब्द का इस्तेमाल किया जा सकता है या नहीं?

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया था. इस याचिका में मांग की गई थी कि सरकारी डॉक्यूमेंट्स और संचार साधनों में दलित शब्द के इस्तेमाल पर रोक लगायी जाए. जिसके बाद कोर्ट ने यह निर्देश दिया था.

केंद्र सरकार का सर्कुलर

इससे पहले बीती 15 मार्च को केन्द्रीय सामाजिक कल्याण मंत्रालय ने एक सर्कुलर जारी कर सभी मंत्रालयों, विभागों और राज्य सरकारों को सलाह दी थी कि आधिकारिक संवाद में दलित शब्द के बजाए एससी शब्द का इस्तेमाल किया जाए.

हालांकि पूर्व कांग्रेस सासंद बालाचंद मुंगेकर ने हिंदुस्तान टाइम्स के साथ बातचीत में बताया कि दलित शब्द का इस्तेमाल समाज में सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक तौर पर पिछड़े और शोषित लोगों के लिए किया जाता है. अब इस शब्द के इस्तेमाल पर रोक लगाकर दलित आंदोलन को बांटने की कोशिश की जा रही है.

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