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ग़ालिब को हटाओगे और…

कृष्ण कांत फेसबुक पर
आरएसएस को किताबों में ग़ालिब, पाश, रवींद्रनाथ टैगोर को पढ़ाए जाने से दिक्कत है. उर्दू, अरबी, फ़ारसी और अंग्रेजी शब्दो से भी परेशानी है. संघ चाहता है कि ये सब किताबों से हटा दिया जाए.

आपको ग़ालिब से दिक्कत है? फिर रहीम और रसखान का क्या करेंगे? आपको सलमान खान और नवाजुद्दीन सिद्दीकी से दिक्कत है? फिर दिलीप कुमार क्या करेंगे? आपको फवाद खान, सलमान खान से दिक्कत है तो राही मासूम रजा और जावेद अख्तर का क्या करेंगे? राही के लिखे रामायण महाभारत का क्या करेंगे? लगभग सारे अच्छे भजन कंपोज़ करने वाले साहिर, नौशाद और मोहम्मद रफ़ी का क्या करेंगे?

यदि आपको गुलाम अली, नुसरत फतेह अली खान, मेहदी हसन, तसव्वुर खानम, फैज और फराज से भी दिक्कत है, तो बड़े गुलाम अली खां, गालिब, मीर, जौक, खुसरो, अल्ला रक्खां, बिस्मिल्ला खान, राशिद खान, शुजात खान, एआर रहमान का क्या करेंगे? मौजूदा हिंदुस्तानी संगीत के पितामह अमीर खुसरो का क्या करेंगे?

हिंदुस्तानी संगीत, साहित्य, कला की महान विरासत को आगे बढ़ाने वालों में मुस्लिम कलाकारों की बहुतायत है, जो राम, कृष्ण और दुर्गा के भजन गाते हैं, साथ साथ उर्दू गजलें, कौव्वालियां गाकर संगीत परंपरा को आगे बढ़ाते रहे हैं. हालांकि, वे सिर्फ जन्मना मुसलमान हैं और एक से एक महान लोग हैं. वैसे भी, हिंदू हो या मुसलमान, घृणा से भरा मनुष्य कलाकार हो नहीं सकता. कुछ अच्छे कलाकार ज़रूर हाल में सत्ता के दलाल बनने को दुबले हुए जा रहे.

इन सारी महान हस्तियों को हटा दो, फिर संस्कृति, भाषा और साहित्य के नाम पर बचेगा क्या? गोडसे और उसकी पिस्तौल? वही पढ़ाओगे? संस्कृत भाषा के कालिदास और जयदेव आपको पढ़ा दिया जाए तो आपकी कुत्सित संस्कृति शीर्षासन करने लगे.

उस मनुष्य की बुद्धि और उसकी बेचारगी पर विचार कीजिये जो रविन्द्रनाथ टैगोर और ग़ालिब जैसी हस्तियों को हटाने की सलाह दे सकता है और जो ऐसे उज़बक से सलाह ले सकता है. जिन लोगों में घृणा का स्तर ऐसा हो गया हो, वे देश निर्माण का दावा कर रहे हैं!!!

इसी धरती की महान विरासत से नफरत करने वाले अपने को देशभक्त कहकर नारा लगाते हैं. पहले इनसे इनकी देशभक्ति का प्रमाण मांगा जाए.

जिन गधों को संस्कृति का स नहीं आता उन्होंने देश और संस्कृति का ठेका ले रखा है.

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