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अमरीका के लिये आफत मोदी: टाईम पत्रिका

वाशिंगटन | समाचार डेस्क: टाईम पत्रिका के अनुसार 2014 का चुनाव जीतने पर मोदी अमरीका के लिये एक समस्या बन जायेंगे. 27 जनवरी के अंक के लिये माइकल क्राउले ने ‘अमेरिकास अदर इंडिया प्राब्लम’ नामक लेख में लिखा है कि 2014 का लोकसभा चुनाव यदि भाजपा जीतती है तो नरेन्द्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बन जायेंगे. इससे भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागडे विवाद के बाद अमरीका का भारत से एक दूसरा विवाद उत्पन्न हो जायेगा.

माइकल क्राउले ने लिखा है कि 2002 के गुजरात दंगों के बाद से अमरीका ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को अमरीका आने का वीजा देने से इंकार कर दिया है. अपने लेख में टाईम पत्रिका के टिप्पणीकार माइकल क्राउले ने प्रश्न उठाया है कि नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भी क्या अमरीकी विदेश विभाग उनको वीजा देने से इंकार कर सकता है. जबकि अमरीकी नैगम घराने भारत में निवेश के इच्छुक हैं तथा नरेन्द्र मोदी भी निवेश को प्रोत्साहित करते हैं.

टाईम पत्रिका के अनुसार पिछले दशक में अमरीका का चीन, रशिया तथा ब्राजील से संबंध परेशानी भरा रहा है. केवल भारत ही है जिसके साथ अमरीकी रिश्ते अच्छे रहें हैं एक देवयानी खोबरागडे को लेकर उत्पन्न विवाद को छोड़कर.

भारत तथा अमरीका दुनिया के दो बड़े लोकतंत्र हैं तथा दोनों एक दूसरे के साथ सहयोग करते आये हैं.भारत के हजारों लोग अमरीका में गयें हैं तथा उन्होंने सफलता भी अर्जित की है. भारत तथा अमरीका दोनों चीन के उदय पर सावधानी पूर्वक नजर रखे हुए हैं. इस प्रकार भारत, अमरीका का
रणनीतिक सहयोगी है.

माइकल क्राउले ने इसे ही इंगित किया है कि क्या नरेन्द्र मोदी के भारत के प्रधानमंत्री बनने के बाद भी अमरीकी विदेश विभाग उन्हें वीजा देने से इंकार कर सकता है. जबकि अमरीकी अमरीकी नैगम घराने मोदी के विदेशी निवेश पर खुले नीति का लाभ उठाना
चाहेंगे.

टाईम पत्रिका में 27 जनवरी के अपने लेख में माइकल क्राउले ने लिखा है कि 2002 के गुजरात दंगों के बाद 2005 में अमरीका ने मोदी को वीजा देने से इंकार कर दिया था. उस वक्त नरेन्द्र मोदी एक राष्ट्रीय स्तर के नेता थे परन्तु क्या अमरीकी विदेश
विभाग भारत के शासनाध्यक्ष को काली सूची में डाल सकता है. इसीलिये लेखक ने कहा है कि यदि नरेन्द्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बनते हैं तो अमरीका के लिये समस्या उत्पन्न हो जायेगी.

टाईम पत्रिका में माइकल क्राउल लिखते हैं कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर अमरीका के भीतर तथा बाहर से ओबामा प्रशासन पर दबाव बनाया जायेगा कि मोदी पर प्रतिबंध जारी रखा जायें किन्तु क्या बराक ओबामा के लिये अपने राष्ट्र हित को देखते हुए उसे मानना संभव हो पायेगा.

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