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जल सत्याग्रहियों के पैरों से रिसने लगे खून

खंडवा | एजेंसी: मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर बढ़ाए जाने के विरोध में चल रहा जल सत्याग्रह 11वें दिन मंगलवार को भी जारी रहा. लगातार पानी में खड़े जल सत्याग्रहियों के पैरों की त्वचा गलने लगी है और अब खून का रिसाव होने लगा है. दर्जनों लोगों के गलते पैर जलीय जंतुओं, खासकर मछलियों का निवाला बन रहे हैं. राज्य सरकार द्वारा पिछले दिनों ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर 189 मीटर से बढ़ाकर 191 कर दिया है. सरकार के इस फैसले के खिलाफ ग्रामीण और नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं ने 11 अप्रैल से घोगलगांव में जल सत्याग्रह शुरू कर दिया था. पिछले 11 दिन से सत्याग्रह कर रहे आंदोलनकारियों की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है. सबसे पहले इनके पैरों की चमड़ी में गलन शुरू हुई, फिर सर्दी-बुखार, जुकाम ने उन्हें परेशान किया, और अब पैरों से खून रिसना शुरू हो गया है.

नर्मदा बचाओ आंदोलन के वरिष्ठ सदस्य और आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल ने मंगलवार को कहा कि पिछले 11 दिन से जल सत्याग्रह कर रहे ग्रामीणों की हालत में लगातार गिरावट आ रही है, वहीं जलस्तर बढ़ने से किसानों की जमीन डूब में आ गई है.

अग्रवाल का कहना है कि प्रभावितों को पुनर्वास नीति के तहत लाभ नहीं मिला है और सरकार की ओर से दिए गए अपर्याप्त मुआवजा दिए गए मुआवजे को कई किसान सरकार को वापस भी कर चुके हैं. उनका आरोप है कि सरकार ने मनमर्जी से बांध का जलस्तर बढ़ा दिया है. सरकार अपनी हठधर्मिता पर अड़ी हुई है.

किसानों और प्रभावितों की बात वह सुनने को तैयार नहीं हैं. नर्मदा बचाओ आंदोलन संगठन ने आंदोलन की जानकारी मुख्य सचिव एंटनी डिसा तक को भी दे चुका है. उसके बाद भी सरकार का कोई नुमाइंदा उनकी बात सुनने नहीं आया है.

वहीं दूसरी ओर सरकार लगातार एक ही बात कह रही है कि बांध का जलस्तर बढ़ाए जाने से किसी की जमीन डूब में नहीं आई है, नहर में पानी आने से किसान खुशहाल है और उसे लग रहा है कि अब उसकी खेती अच्छी होगी.

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