अनशन पर शिवराज सिंह सरकार
भोपाल | एजेंसी: मध्य प्रदेश में आई प्राकृतिक आपदा के मद्देनजर केंद्र सरकार द्वारा मदद न किए जाने के विरोध में गुरुवार को भाजपा ने राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया है. गुरुवार को राज्य में भाजपा के बंद का व्यापक असर देखा जा रहा है, वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सरकार अनशन पर है.
राज्य मे पिछले दिनों हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से 10 हजार से अधिक गांवों में बड़े पैमाने पर खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो गईं. राज्य सरकार ने आपदा प्रभावित किसानों की मदद के लिए दो हजार करोड़ की सहायता राशि मंजूर की है.
राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से पांच हजार करोड़ रुपये की मदद भी मांगी, जिसे पूरा नहीं किया गया और चौहान से प्रधानमंत्री की मुलाकात तक नहीं हो पाई.
केंद्र सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए भाजपा ने गुरुवार, छह मार्च को आधे दिन का प्रदेश बंद और सरकार के अनशन का ऐलान किया था. इस आहूत बंद का प्रदेश में व्यापक असर देखा जा रहा है. सड़कों पर आवाजाही तो है, लेकिन बाजार पूरी तरह बंद है. हालांकि आवश्यक सेवाओं को बंद से अलग रखा गया है.
एक तरफ जहां भाजपा ने बंद का आह्वान किया, वहीं मुख्यमंत्री के नेतृत्व में सरकार अपने मंत्रियों सहित राजधानी भोपाल में अनशन पर बैठी है.
चौहान ने कहा है कि राज्य सरकार किसानों की हर संभव मदद करेगी. सरकार ने किसानों के लिए अभी दो हजार करोड़ की अंतरिम राहत राशि मंजूर की है और आगे भी सरकार की तरफ से यथासंभव मदद की जाएगी.
“घड़ियाली आंसू ”
मप. के खेतों का मरुस्थलीकरण और किसानो की आत्महत्या
माननीय शिवराज जी चौहान पिछले 10 सालों से मप. की खेती किसानी को लाभ का धंदा बनाने का दावा कर रहे है किन्तु हो इसके विपरीत रहा है. खेत मरुस्थल में तब्दील हो रहे हैं और किसान आत्म-हत्या कर रहे हैं.शायद ही कोई किसान हो जो कर्जे में न फंसा हो खुद मुख्यमंत्रजी किसान हैं उनके अनेक मंत्री और विधायक किसान है सब के सब कर्जे में फंसे हैं.
मप. पहले खेती किसानी के कारण सोने की चिड़िया कहलाता था जब से भारी सिंचाई ,रासायनिक उर्वरकों ,संकर नस्लों ,मशीनो कि हरित बनाम मरुस्थली खेती का आगाज़ हुआ है तब से खेत मरुस्थल में और किसान गरीब और कर्जदार हो गए हैं. पहले कांग्रेस की सरकार थी अब १० सालों से अधिक समय से भाजपा की सरकार है पर खेतों को उपजाऊ बनाने और किसान को समृद्ध बनाने के लिए कोई भी कारगर योजना मप. में नहीं आई.इस लिए हर मौसम किसान घाटा उठा रहा है.
हर बार मौसम फसलों के फेल होने पर कुदरत को दोष देना उचित नहीं है. असल में सरकारी अनुदान,कर्ज,और मुआवजा सब भ्रस्टाचार की श्रेणी आता है.इस से निचले स्तर के लोग खूब मालामाल हो रहे हैं. मप. में खेती से अगर किसी को फायदा हुआ है तो वे सरकारी अधिकारी ,विधायक, मंत्री हैं। ये लोग निजी कंपनियों से साथ गांठ कर खाद,दवाई ,मशीनो को सस्ती न बेच कर उस पर सरकारी अनुदान लगवा लेते हैं गेर जरूरी चीजों को अनुदान के माध्यम से बेचा जा रहा है.
हम पिछले २७ सालो से मशीन ,खाद,दवाइयों के बिना खेती कर रहे हैं ये सब खेती के लिए गेर जरूरी हैं किन्तु इसे जबरदस्ती किसानो को थोपा जा रहा है. ये बहुत बड़ा भ्रस्टाचार है.