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व्यापमं घोटाला: कांग्रेस ने शिवराज को घेरा

भोपाल | एजेंसी: कांग्रेस ने सोमवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को व्यापमं घोटाले में घसीटा. कांग्रेस के नेताओं ने आरोप लगाया कि व्यापमं घोटाले के तार मुख्यमंत्री निवास तक जाते हैं. इसके लिये कांग्रेस महासचिव तथा मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने जांच एजेंसी को दस्तावेज भी सौंपे. वहीं, मध्य प्रदेश सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने इन आरोपों को सिरेसे खारिज कर दिया है. मध्य प्रदेश में व्यावसायिक परीक्षा मंडल, व्यापमं द्वारा आयोजित परीक्षाओं में हुए घोटाले को लेकर कांग्रेस ने पहली बार सीधे तौर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर हमला बोला है. कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह ने इस फर्जीवाड़े में चौहान की मुख्य भूमिका बताते हुए एक्सेल शीट में छेड़छाड़ किए जाने का आरोप लगाया है. वहीं सरकार ने इन आरोपों को खारिज किया है. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने सोमवार को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में मुख्यमंत्री चौहान पर खुलकर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि विशेष कार्यदल, एसटीएफ लगातार चौहान को बचाने की कोशिश में लगा है यही कारण है कि व्यापमं घोटाले में पकड़े गए नितिन महिंद्रा के कंप्यूटर से जब्त की गई एक्सेल शीट से छेड़छाड़ की गई है.

सिंह का आरोप है कि संविदा वर्ग दो की परीक्षा की एक्सेल शीट में 48 स्थानों पर ‘सीएम’ लिखा गया है. जांच एजेंसियों ने इनमें हेरफेर कर 31 स्थानों पर सीएम को बदलकर मिनिस्टर कर दिया है. इसी तरह सात स्थानों पर उमा भारती किया गया. इसके अलावा 18 स्थानों पर सीएम को हटाकर उन स्थानों को खाली छोड़ा गया है.

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने जो आरोप लगाए हैं, उनकी मूल एक्सेलशीट शपथ पत्र के साथ स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम, एसआईटी को सौंपी है. सिंह का आरोप है कि एसटीएफ ने तत्कालीन मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा पर आपराधिक आरोप मढ़कर एक्सेल शीट में उल्लिखित मिनिस्टर के आधार पर बलि का बकरा बनाया है. वहीं एक्सेल शीट में मिनिस्टर दो, मिनिस्टर तीन और मिनिस्टर चार का भी उल्लेख है मगर एसटीएफ ने उन्हें खोजने की कोशिश नहीं की.

सिंह द्वारा एसआईटी को दिए गए साक्ष्यों में कहा गया है कि यह जरुरी है कि मुख्य आरोपी व्यक्तियों के कॉल डिटेल्स, एसएमएस और ईमेल की जानकारी संबंधित सेवा प्रदाय करने वालों से हासिल किए जाए, सीडी रेम से एसटीएफ ने मुख्यमंत्री और उनके परिवार को बचाने के लिए छेड़छाड़ की है.

सिंह ने मुख्यमंत्री चौहान को चुनौती दी है कि वे या तो उनके शपथ पत्र के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करें अथवा अपने पद से इस्तीफा दें.

राज्य में व्यापमं द्वारा आयोजित पीएमटी, परिवहन आरक्षक, शिक्षक भर्ती परीक्षाओं में व्यापक पैमाने पर फर्जीवाडा हुआ है. जबलपुर उच्च न्यायालय के निर्देश पर एसआईटी के अधीनस्थ विशेष कार्यदल, एसटीएफ जांच कर रहा हैं. इस मामले में अब तक कई लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. इसमें प्रशानिक अधिकारी से लेकर पूर्व मंत्री व विभिन्न दलों के राजनेता भी शामिल हैं.

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इस फर्जीवाडे की उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो से जांच कराने की मांग की थी, मगर न्यायालय ने इसे अमान्य कर दिया था.

सिंह सोमवार को वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा के साथ अन्य लोगों की मौजूदगी में एसआईटी प्रमुख चंद्रेश भूषण से मिले और दस्तावेज भी सौंपे. एसआईटी प्रमुख ने मीडिया से चर्चा के दौरान माना है कि दिग्विजय ने जो दस्तावेज सौंपे है उनमें एक नया दस्तावेज है, जरुरत पड़ने पर वे इसका एसटीएफ से परीक्षण कराएंगे.

वहीं सरकार ने कांग्रेस और दिग्विजय सिंह के आरोपों को खारिज कर दिया है. सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि कांग्रेस पहले भी अनर्गल आरोप लगा चुकी है, जो बाद में झूठे पाए गए. इस बार भी उसने अनर्गल आरोप लगाए हैं.

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