ताज़ा खबरदेश विदेश

नामवर सिंह का निधन

नई दिल्ली | संवाददाता : हिंदी के शीर्ष समालोचक नामवर सिंह का 93 साल की उम्र में निधन हो गया. वे पिछले कुछ समय से अस्वस्थ थे.

पिछले महीने ही वे अपने घर में गिर गये थे, जिसके बाद उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था. चिकित्सकों के अनुसार उन्हें ब्रेन हेमरेज हुआ था. लेकिन इसके बाद उनकी स्थिति में सुधार हुआ.

28 जुलाई 1927 को वाराणसी के एक गांव जीयनपुर में जन्में नामवर सिंह ने बीएचयू से हिंदी साहित्य में एमए और पीएचडी किया. कई वर्षों तक बीएचयू में पढ़ाया और उसके बाद सागर और जोधपुर विश्वविद्यालय में पढ़ाया और फिर वो दिल्ली के जेएनयू में आ गए. वहीं से वे सेवानिवृत्त हुये.

साहित्य अकादमी सम्मान से नवाज़े जा चुके नामवर सिंह ने हिंदी साहित्य में आलोचना को एक नया आयाम और नई ऊंचाई दी है. खास कर दूसरी परंपरा की खोज जैसी समालोचना ने उन्हें दुनिया भर में मशहूर कर दिया.

प्रमुख कृतियां

बक़लम ख़ुद (1951), हिन्दी के विकास में अपभ्रंश का योग (1952), पृथ्वीराज रासो की भाषा (1956), आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियाँ (1954) छायावाद (1955), इतिहास और आलोचना (1957), कहानी : नयी कहानी (1964), कविता के नये प्रतिमान (1968), दूसरी परम्परा की खोज (1982) वाद विवाद और संवाद (1989) उनकी प्रमुख कृतियां हैं.

उन्होंने संक्षिप्त पृथ्वीराज रासो (1952) आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के साथ, पुरानी राजस्थानी (1955) (मूल लेखक- डॉ० एल.पी.तेस्सितोरी; अनुवादक – नामवर सिंह), चिन्तामणि भाग-3 (1983) कार्ल मार्क्स : कला और साहित्य चिन्तन (अनुवादक- गोरख पांडेय), नागार्जुन : प्रतिनिधि कविताएँ, मलयज की डायरी (तीन खण्ड), आधुनिक हिन्दी उपन्यास भाग-2, रामचन्द्र शुक्ल रचनावली का संपादन भी किया.

अध्यापन और लेखन के अलावा उन्होंने जनयुग और आलोचना नामक हिंदी की दो पत्रिकाओं का संपादन भी किया.

1959 में चकिया-चंदौली लोकसभा चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार भी रहे लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!