राष्ट्र

मेक इन इंडिया-मोदी

नई दिल्ली | संवाददाता: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेक इन इंडिया का नारा दिया है. लालकिले पर पहली बार झंडा फहराने वाले नरेंद्र मोदी ने अतिवादियों से आने वाले 10 सालों के लिये हिंसा का रास्ता छोड़ने का अनुरोध किया है.

नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री के रूप में नहीं प्रधानसेवक के रूप में आपके बीच हूं. राष्ट्रीय पर्व राष्ट्रीय चरित्र को निखारने का अवसर होता है. राष्ट्रीय पर्व से प्रेरणा लेकर जन-जन का चरित्र जितना निखरे उतना अच्छा.

उन्होंने कहा कि संसद हमारी सोच का परिचायक है. हम बहुमत के आधार पर आगे बढ़ना नहीं चाहते. हम सहमति के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं. देश ने देखा होगा कि सभी को साथ लेकर चलने में हमें अभूतपूर्व सफलता मिली है. उसका यश सरकार को नहीं जाता. उसका श्रेय प्रतिपक्ष को, उसके नेता को भी जाता है. मैं सभी सांसदों और सभी राजनीतिक दलों का धन्यवाद करता हूं.

अपने भाषण में नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं दिल्ली के लिए आउटसाइडर हूं. मैं दिल्ली की दुनिया का नहीं हूं. यहां की एलीट क्लास से अछूता रहा. लेकिन एक बाहर के व्यक्ति ने, एक आउटसाइडर ने दिल्ली आकर के एक इनसाइडर व्यू लिया. यह मंच राजनीति का नहीं, राष्ट्रनीति का है. मेरी बात को राजनीति के रूप में न लिया जाए. मैंने जब दिल्ली आकर के एक इनसाइडर व्यू किया, तो चौंक गया. मुझे लगा कि एक सरकार में कई सरकारें चल रही हैं. मुझे बिखराव नजर आया. जैसे सभी की जागीरें हैं. एक डिपार्टमेंट दूसरे से लड़ रहा है. यह बिखराव, यह टकराव, एक ही देश के लोग. इसलिए मैंने कोशिश प्रारंभ की है, उन दीवारों को गिराने की. सरकार असेंबल्ड यूनिट नहीं, ऑर्गेनिक यूनिट बने. सरकार एक गति, एक मति बनाने की कोशिश की. मोदी की सरकार आ गई, अफसर लोग समय पर ऑफिस जाते हैं.

मोदी ने कहा कि हिंदुस्तान का नेशनल मीडिया, टीवी खबरें चला रहे थे कि सब समय पर आते हैं. मुझे आनंद आना चाहिए. लेकिन मुझे आनंद नहीं आया. क्या इस देश में सरकारी अफसर समय पर जाएं तो वह क्या न्यूज होती है. अगर वह न्यूज होती है तो वह इस बात का सुबूत है कि हम कितने नीचे गए हैं. इससे पता चलता है कि पूर्व की सरकारों ने कैसे काम किया है. जन आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए जो शासन व्यवस्था नाम की मशीनरी है, उसे धारदार बनाना है. सरकार में बैठे लोगों के पास सामथ्र्य है. मैं उस शक्ति को जोड़ना चाहता हूं. हम उसे करके रहेंगे. हमारे महापुरूषों ने आजादी दिलाई. क्या उनके सपनों को पूरा करने के लिए हमारी जिम्मेदारी है कि नहीं? क्या हम जो दिन भर कर रहे हैं, क्या कभी शाम को अपने आप से पूछा कि क्या उससे गरीबों का भला हुआ, देश का भला हुआ? दुर्भाग्य से आज देश में माहौल बना हुआ है कि किसी के पास कोई काम लेकर जाओ तो वह पूछता है कि इसमें मेरा क्या? जब उसे पता चलता है कि उसमें उसका कुछ नहीं है तो वह कहता है मुझे क्या ? हर चीज अपने लिए नहीं होती. कुछ चीजें देश के लिए भी होती हैं. हमें देश हित के लिए काम करना है. हमें यह भाव जगाना है.

देश भर में हो रही रेप की घटनाओं को लेकर उन्होंने कहा कि आज हम जब बलात्कार की घटनाएं सुनते हैं, तो हमारा माथा ठनक जाता है. हर कोई अपने-अपने तर्क देते हैं. मैं आज इस मंच से हर मां-बाप से पूछना चाहता हूं जब लड़की 10 साल की होती है तो मां-बाप पूछते हैं कहां जा रही हो? वे चिंतित रहते हैं. रेप करने वाले लड़कों के मां-बाप को अपने बेटे से पूछना चाहिए. हिंसा के रास्ते पर जाने वाले नौजवानों से पूछना चाहता हूं कि भारत मां ने आपको कुछ दिया होगा. आपके कंधे पर बंदूक होगी तो धरती को लाल कर सकते हो. अगर आपके कंधे पर हल होगा तो धरती पर हरियाली फैलेगी. नेपाल में एक समय था, जब लोग हिंसा के रास्ते पर चल रहे थे. अब वहां लोग संविधान की प्रतीक्षा कर रहे हैं. भाइयों, बहनों अगर बुद्ध की भूमि नेपाल संदेश दे सकती है तो क्या भारत की धरती अहिंसा का संदेश नहीं दे सकती है?

सांप्रदायिकता के मुद्दे पर नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम लंबे समय से सांप्रदायिक हिंसा झेल रहे हैं. देश का विभाजन हो गया. किसी को कुछ नहीं मिला. भारत मां के अंगों पर दाग के सिवा कुछ नहीं मिला. जातिवाद, संप्रदायवाद से छुटकारा पाना होगा. 10 साल तक ऎसा करके देखो. देश को आगे ले जाने का संकल्प लें. मुझे विश्वास है कि हम ऎसा कर सकते हैं.

नरेंद्र मोदी ने महिलाओं की स्थिति को लेकर कहा कि डॉक्टर पैसे के लिए किसी मां के गर्भ में पल रही बच्ची को न मारें. मां-बाप से कहना चाहता हूं कि बेटी को गर्भ में न मारो. बेटी अपने सपनों को बलि चढ़ाती है, शादी नहीं करती. मां-बाप की सेवा करती है. यह असमानता, मां के गर्भ में बेटियों की हत्या, इससे हमें मुक्ति लेनी होगी. राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के खिलाडियों में 29 बेटियां हैं, जिन्होंने मेडल जीते हैं. उन बेटियों के लिए ताली बजाइए. भारत की आन बान और शान में बेटियों का योगदान है. समाज जीवन में जो बुराइयां आई हैं, उन्हें दूर करना होगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री जन धन योजना की घोषणा करते हुये कहा कि इसके तहत बैंक खाते खुलवाए जाएंगे. इस योजना के तहत जो अकाउंट खुलेगा, उसे डेबिट कार्ड दिया जाएगा. हर गरीब परिवार को एक लाख रूपए का बीमा सुनिश्चित किया जाएगा. मैं ऎसे नौजवान तैयार करना चाहता हूं जो जॉब क्रिएटर हों, जो जॉब क्रिएटर नहीं हैं वे ऎसे हों जो दुनिया की आंखों में आंखें डालकर देख सकें. मेरे प्यारे देशवासियो, विश्व बदल चुका है.

नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं आह्वान करना चाहता हूं कि हमें नौजवानों को रोजगार देना है तो निर्माण क्षेत्र पर ध्यान देना होगा. हिंदुस्तान की ताकत लगे और विश्व भी लगे. आइए, भारत में निर्माण कीजिए. हमारे पास टैलेंट है, अनुशासन है. हम विश्व को आमंत्रित करना चाहते हैं. कम मेक इन इंडिया. मैं उद्योग क्षेत्र, छात्रों से कहता हूं कि हमारा सपना होना चाहिए कि दुनिया के हर कोने में यह बात पहुंचनी चाहिए, मेड इन इंडिया. क्या भगत सिंह की तरह फांसी पर लटकना अनिवार्य है? मैं नौजवानों से कहना चाहता हूं कि आपके रहते हमें दुनिया से छोटी-छोटी चीजें आयात करनी पड़ती हैं. नौजवानों को सोचना चाहिए कि हम जो चीज आयात करते हैं, उनमें से एक चीज ही बनाऊंगा ताकि हमारे देश को आयात न करना पड़े. पूरे विश्व में नौजवानों ने हमारी पहचान बदल दी है.

नरेंद्र मोदी ने कहा संसद आदर्श ग्राम योजना की घोषणा करते हुये कहा कि हर सांसद अपने क्षेत्र में 3-5 हजार की जनसंख्या वाले ग्राम की पहचान करे. 2016 तक एक गांव को आदर्श बनाएं. 2016 के बाद 2019 तक और दो गांवों को आदर्श बनाएं. 2019 के बाद 5 आदर्श गांव का विकास आदर्श गांव की तर्ज पर करें. शहरी इलाकों के सांसद और राज्यसभा के सांसद भी गांवों का चुनाव करें. 11 अक्टूबर को जय प्रकाश नारायण की जयंती पर संसद आदर्श ग्राम योजना की ब्लू प्रिंट रखूंगा. सभी विधायक एक आदर्श गांव बनाएं.

योजना आयोग को लेकर नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब से सरकार बनी है तब से योजना आयोग को लेकर चर्चा चल रही है. बहुत कम समय में योजना आयोग की जगह नई सोच, नए विश्वास के साथ एक नई संस्था का निर्माण करेंगे. मुझे स्वामी विवेकानंद याद आ रहे हैं. वे कहते थे कि मैं देख रहा हूं कि भारत माता विश्व गुरु के स्थान पर बैठ रही हैं. स्वामी विवेकानंद के शब्द गलत नहीं हो सकते. क्या हम गरीबी को मिटा नहीं सकते? आइए, संकल्प करें, गरीबी को परास्त करें. क्यों न हम सार्क देशों के साथ मिलकर गरीबी खत्म करें? मारने काटने का समय बीता. मैं पड़ोसी देशों से गरीबी मिटाने के लिए सहयोग लेने और अपना सहयोग देना चाहता हूं. हम दुनिया के सामने ताकत के रूप में उभर सकते हैं. देश-दुनिया में भारत की सोच को आगे बढ़ाना चाहता हूं. भाइयों, बहनों आज 15 अगस्त को देश के लिए कुछ करने का संकल्प लेने का दिन है. अगर आप 12 घंटे काम करेंगे तो मैं 13 घंटे करूंगा. आप 14 घंटे काम करेंगे तो मैं 15 घंटे करूंगां क्योंकि मैं आपका प्रधानमंत्री नहीं प्रधान सेवक हूं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!