प्रसंगवश

‘राष्ट्रवादी’ बजट

नई दिल्ली | विशेष संवाददाता: भगवान का शुक्र है कि अरुण जेटली के बजट को ‘देशद्रोही’ या ‘राष्ट्र विरोधी’ नहीं करार दिया गया. जैसा कि फिलहाल चलन में है. इसके उलट आम बजट तो ‘राष्ट्रवादी’ है. इस बजट में राष्ट्र को आगे बढ़ाने के लिये आमजनों से त्याग तथा बलिदान की उम्मीद रखी गई है वहीं बड़े घरानों को इससे दूर रखा गया है. इस बजट में राष्ट्र के राजकोषीय घाटे को कम करने की दिशा में काम किया गया है. भले ही बजट से असमानता तथा बेरोजगारी बढ़ेगी जिससे प्रभावित लोग तथा युवा एक मजबूत राष्ट्र के नाम पर मन मिटने को तैयार मिलेंगे.

पिछले साल भी कार्पोरेट टैक्स तथा इनकम टैक्स से करीब 46,000 करोड़ रुपयों का राजस्व कम प्राप्त हुआ था परन्तु इसकी भरपाई उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी करके 54,000 करोड़ रुपये जमा किये गये जोकि बजट अनुमान से ज्यादा है. हां, उत्पाद शुल्क बढ़ाने से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में क्रूड तेल के कीमतों में जो भारी गिरावट दर्ज हुई उसका लाभ आम जनता को न मिल सका. वरन् इससे राष्ट्र के राजकोषीय घाटे को कम करने में मदद मिली है.

इस बार के बजट प्रस्तावों में प्रत्यक्ष करों में 1060 करोड़ रुपयों की कटौती की गई है जिसका सीधा लाभ बड़े लोगों को होगा. इसके बदले में आम जनता से अप्रत्यक्ष करों के रूप में 20,670 करोड़ रुपयों की उगाही की जायेगी जिससे महंगाई का बढ़ना तय माना जा रहा है.

इस बजट में राजकोषीय घाटे को कम करने के लिये सरकारी खर्च में कटौती की गई है. कुछ के बजट में कटौतीकर दूसरें में बढ़ा दिया गया है. कृषि क्षेत्र में जो बजट बढ़ाया गया है वह बीमा कंपनियों तथा बैंको को जाना है जिससे किसानों को कोई वास्तविक लाभ नहीं होने जा रहा है.

खाद्य सब्सिडी में 5,000 करोड़ तथा उर्वरक सब्सिडी में 2,000 करोड़ रुपयों की कटौती प्रस्तावित है. मनरेगा को पिछले साल के बजटीय आवंटन 34,699 करोड़ रुपये की तुलना में 38,500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. जमीनी तौर पर यदि आप देखें तो मनरेगा के लिये महज 3801 करोड़ रुपये बढ़ाये गये हैं. बढ़ती मुद्रा स्फीति तथा सूखे के कारण उजाड़ हो रहे गांवों के वास्तव में कुछ नहीं किया गया है.

सरकार को फंड मुहैया करवाने के लिये सार्वजनिक क्षेत्र में विनिवेश के माध्यम से 56,500 करोड़ रुपया बाजार से उठाया जायेगा.

हां देश में काला धन रखने जैसे ‘पुनीत कार्यो’ के लिये क्षमादान करने की योजना पेश की गई है. इस योजना के तहत कुल काले धन का 45 प्रतिशत भुगतान कर इसे रखने वाले लोग लोग पाक-साफ हो सकते हैं, किसी भी कार्रवाई से बच सकते हैं. लोकसभा में 2016-17 का आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि नई क्षमा योजना घरेलू काले धन से जुड़ी है.

आम बजट पेश करते हुए सेवानिवृत्ति पर कर्मचारी भविष्य निधि की निकासी को कर के दायरे में लाने का प्रस्ताव किया है. वित्त मंत्री जेटली ने संसद में आम बजट पेश करते हुए कहा है कि सेवानिवृत्ति पर भविष्य निधि की निकासी की 40 प्रतिशत राशि को कर मुक्त करने का प्रस्ताव करता हूं. इसका तात्पर्य है कि भविष्य निधि की 60 प्रतिशत राशि कर योग्य होगी.

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