राष्ट्र

नेताजी के परिजनों ने की जांच की मांग

कोलकाता | समाचार डेस्क: मीडिया में जासूसी के खुलासे के बाद नेताजी के परिजनों ने मोदी सरकार से इसकी जांच करवाने की मांग की है. इसी के साथ नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार वालों ने उनसे संबंधित सभी फाइलों को सार्वजनिक किये जाने की भी मांग की है. पूर्व की कांग्रेस सरकार द्वारा आजादी के 20 वर्ष बाद महान क्रांतिकारी नेता नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार के सदस्यों की जासूसी कराए जाने का खुलासा होने पर दुख जाहिर करते हुए नेताजी के कुल के एक प्रमुख सदस्य ने शुक्रवार को इस मुद्दे पर न्यायिक जांच कराने की मांग की.

परिवार के प्रवक्ता चंद्र कुमार बोस ने मांग की है कि नरेंद्र मोदी सरकार नेताजी और उनके वंश से संबंधित गोपनीय फाइलों को अवर्गीकृत कर दे.

चंद्र कुमार बोस ने कहा, “यह दुखद है. यह ऐसा मुद्दा नहीं है जिससे केवल परिवार जुड़ा है बल्कि इससे पूरा देश जुड़ा है क्योंकि परिवार के कई सदस्य शरत चंद्र बोस से लेकर अमिय नाथ बोस के साथ ही साथ शिशिर कुमार बोस प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी हैं.”

उन्होंने कहा कि यह समझा जा सकता है कि ब्रिटिश सरकार परिवार की जासूसी करा सकती है क्योंकि इसने साम्राज्यवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी, लेकिन आजादी के बाद के भारत की केंद्र सरकार ने ऐसा कराया जो कि अत्यंत दुखद है.

उन्होंने कहा, “यह लोकतंत्र, निजी स्वतंत्रता और आजादी की लड़ाई की भावना पर हमला है और देश के साथ धोखा है.”

बोस ने कहा कि मोदी सरकार सभी जगह पादर्शिता की बात करती है. यदि वे अपने किए जाने वाले दावों के प्रति सजग हैं तो अभी तक गुप्त रखी गई 160 फाइलों को अवर्गीकृत करने का आदेश जारी करें.

मीडिया की रिपोर्ट में दावा किया गया है केंद्रीय गृह मंत्रालय की वर्गीकृत फाइलों से यह खुलासा हुआ है कि नेताजी के परिवार को 1948 से 1968 तक सघन निगरानी में रखा गया था.

इन 20 वर्षो में कांग्रेस के तीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी सत्ता के शिखर पर रहे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!