विविध

जीवन की उत्पत्ति का नया सिद्धांत

न्यूयॉर्क | समाचार डेस्क: भारतीय मूल के एक शोधार्थी सहित वैज्ञानिकों की एक टीम ने धरती पर जीवन की उत्पत्ति के बारे में नया सिद्धांत पेश किया है. वैज्ञानिकों के दल ने धरती पर जीवन की उत्पत्ति के संबंध में ब्रह्माण्डीय रासायनिक प्रतिक्रियाओं का बिल्कुल नया रूप सामने रखा है.

शोधकर्ताओं ने पाया है कि धरती पर काष्ठ आल्कोहल के रूप में पहचाना जाने वाला मिथेन का एक यौगिक मेथेनॉल, मिथेन से भी ज्यादा प्रतिक्रियाशील है.

प्रयोगों और गणना के जरिए वैज्ञानिकों ने यह प्रदर्शित किया कि मेथेनॉल विभिन्न किस्म के हाईड्रोकार्बन यौगिकों और उसके उत्पादों, जिनमें हाइड्रोकॉर्बन के आयन (कार्बोकेशन और कार्बेनियन) भी शामिल हैं, के विकास में सहायक हो सकता है.

साऊथ कैरोलीना विश्वविद्यालय के रसायन शास्त्र विभाग के मुख्य शोधकर्ता जॉर्ज ओलाह और जी.के. सूर्य प्रकाश का मानना है कि जब उल्का पिंडों और क्षुद्र ग्रहों के जरिए हाईड्रोकार्बन और अन्य उत्पाद धरती पर आए तो यहां अनोखी ‘गोल्डीलाक’ जैसी स्थिति बनी. नतीजा यह हुआ कि धरती पर पानी, सांस लेने योग्य वातावरण बनने के साथ-साथ तापमान नियंत्रित हो गया जिससे जीवन की शुरुआत हुई.

ब्रह्मांड के निर्माण के शुरुआती क्षणों में महाविस्फोट से उत्पन्न ऊर्जा से हाइड्रोजन और हिलियम गैसें बनीं. अन्य तत्वों की उत्पत्ति बाद में ग्रह के गर्म भाग से हुई जिनमें हाईड्रोजन के रूपांतरण से ही नाईट्रोजन, कार्बन, ऑक्सीजन और अन्य तत्वों की उत्पत्ति हुई.

वैज्ञानिकों का कहना है कि लाखों वर्ष बाद जब सुपरनोवा विस्फोट हुआ तो अंतरिक्ष में ये तत्व फैल गए जिनसे जल, हाईड्रोकार्बन यौगिक जैसे मिथेन और मेथेनॉल का निर्माण हुआ. लेकिन कैसे इन जटिल हाईड्रोकार्बन यौगिकों का निर्माण हुआ और इनसे जीवन की शुरुआत हुई एक खुला प्रश्न है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!