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नीतीश उसी तरह मुख्यमंत्री हैं जैसे मोदी प्रधानमंत्री

चंचल भू | फेसबुक पर
मुख्यमंत्री होना सियासत में स्काख़्सियत बनना दो अलहदा दर्जा है.नीतीश उसी तरह मुख्यमंत्री हैं जैसे मोदी प्रधानमंत्री. दोनो में जबरदस्त समानता है. पुरानी कहावत है ‘ पानी अपनी सतह ढूंढ लेता है ‘. रही बात ईमानदारी , नैतिकता और पाक साफ होने की तो अब यह या तो शब्दकोश में मिलेंगे या फिर अतीत के पन्नों पर. बेशर्मी का एक नायाब उदाहरण पेश करते हैं जनाब नीतीश. सजायाफ्ता से समझौता और प्राथमिक रपट पर इस्तीफा और कारण बताया जाए भ्रष्टाचार के साथ कत्तई नही ?

इसे ही ग्रीक ट्रेजडी कहते हैं. पूरा देश इस खेल के नेपथ्य को खुली आंख से देख रहा है , सब को ,सब कुछ पता है. आज जीत तो उसकी हो गई जिसका नाम लालू प्रसाद यादव है. बिहार बता रहा है.

देखते देखते सियासत इतनी बौनी हो गयी कि आत्मसम्मान से भी बड़ा ओहदा हो गया. भारत दुनिया का अकेला मुल्क है जहां आत्मसम्मान पर खड़े अनगिनत लोग ओहदे को ठोकर मार कर अवाम के बीच खड़े हो गए और आज तक जिंदा हैं. जे पी उसी सूची में हैं. यह बहुत दिनों तक खुद को जे पी का अनुआई बोलता रहा.

प्रचारित हो रहा है 302 का केस बन्द पड़ा है. खुल गया तो ? इस लिए डर गया. झूठ. यह बेशर्मी का छाता है.

नीतीश जी ! गोधरा में रेल का एक डिब्बा जल गया था. याद है ? आरक्षित डिब्बा था. रेल ने वह सूची जारी की की कौन कौन उसमे सफर कर रहे थे ?

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