प्रसंगवश

जनता को कड़क चाय पसंद आई क्या ?

प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी को कड़क चाय के समान कहा है. उन्होंने गाजीपुर में एक सभा को संबोधित करते हुये ताजा नोटबंदी की तुलना गरीबों की कड़क चाय से की है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि गरीबों को कड़क चाय पसंद आती है, अमीरों को नहीं.

PM MODI Says Notes Ban Decision Is Like A KADAK CHAI | Parivartan Rally In Ghazipur |

सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी जब गाजीपुर में गरज रहे थे उसके एक दिन पहले छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के सरिया में एक किसान रवि प्रधान ने फांसी लगीकर आत्महत्या कर ली थी. मृतक के परिजनों का कहना है कि नोट नहीं बदले जाने से परेशान होकर उसने आत्महत्या कर ली है. लेकिन पुलिस का दावा है कि मृतक की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी.

खबरों के अनुसार मध्यप्रदेश के सागर जिले में नोट बदलने के लिए बैंक की कतार में लगे सेवानिवृत्त कर्मचारी की हार्ट अटैक से मौत हो गई. वहीं, मुरैना जिले में नये नोट के अभाव में दवा नहीं खरीद सकी महिला ने फांसी लगाकर जान दे दी.

इसी तरह से मुंबई के एक अस्पताल ने नवजात को भर्ती करने से मना कर दिया, बच्चे की मौत हो गई. कहा गया कि सिर्फ सरकारी अस्पतालों में ही पुराने नोट लिये जा सकते हैं.

विशाखापत्तनम में 18 महीने का एक बच्चा मर गया, क्योंकि दवा खरीदने के पैसे नहीं थे. प्राइवेट अस्पताल ने पुराना नोट नहीं लिया.

मैनपुरी में एक साल के बच्चे का इलाज नहीं हो सका. मां-बाप के पास सौ के नोट नहीं थे, पुराने नोट ही थे.

राजस्थान के पाली ज़िले में एंबुलेंस ने नवजात को अस्पताल ले जाने से मना कर दिया, जब तक सौ रुपये के नोट लेकर आते बच्चा मर चुका था.

उत्तरप्रदेश के कुशीनगर में एक धोबन जब हज़ार के दो नोट लेकर जमा करने पहुंची तो पता चला कि ये रद्दी हो गये हैं, वो सदमे से मर गई.

दूसरी तरफ रविवार के दिन ही छत्तीसगढ़ में दो बिल्डर कार में लाखों रुपये ले जाते हुये धरे गये. उसे पहले 9 नवंबर को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में काले धन से सोना 48 हजार से लेकर 60 हजार रुपयों तक में खरीदें जाने का हल्ला मचा था.

उसके बाद सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम के क्षेत्रीय कार्यालय से छत्तीसगढ़ के 50 तथा मध्यप्रदेश के करीब 100 सराफा कारोबारियों को नोटिस जारी किया गया.

जाहिर है कि अमीरों को ‘कड़क चाय’ पसंद नहीं आई है इसलिये वे उसके स्थान पर ‘लाइट कॉफी’ का इंतजाम करते पाये गये.

हां, गरीबों को कड़क चाय से ही गुजारा करना पड़ रहा है. अब इसमें कुछ का मुंह जल जाये तो क्या करियेगा? काले धन के खात्में के लिये जनता को कुछ त्याग तो करना ही होगा.

सबसे बेहतर होगा कि देश की जनता से पूछा जाये कि उन्हें कड़क चाय पसंद आई क्या?

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