राष्ट्र

हत्यारे थानेदार को फांसी

पटना | संवाददाता: पटना में तीन छात्रों की हत्या के दोषी थानेदार शम्से आलम को फांसी की सज़ा सुनाई गई है. इस वर्दी वाले हत्यारे शम्से आलमने इन छात्रों की हत्या करने के बाद इन्हें डकैत बताया था और कहा था कि तीनों छात्र पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गये हैं. हत्या की इस शर्मनाक वारदात में अदालत ने एक सिपाही अरुण कुमार के अलावा 7 लोगों को जीवन भर जेल में रखे जाने का फैसला सुनाया है.

गौरतलब है कि पटना के आशियाना नगर इलाके में 28 दिसंबर 2002 को तीन नौजवान प्रशांत, हिमांशु और विकास की पुलिस वालों ने हत्या कर दी थी. पुलिस का कहना था कि तीनों इलाके के कुख्यात डकैत थे और पुलिस ने बहादुरी के साथ मुकाबला करते हुये इन तीनों को मार गिराया.

बाद में जब सीबीआई जांच हुई तो यह तथ्य निकल कर सामने आया कि तीनों छात्र सरकारी नौकरी की तलाश में थे और तीनों की नौकरी भी लग गई थी. तीनों अपनी नौकरी ज्वाइन करते, उससे पहले ही तीनों को इस वर्दी वाले हत्यारे ने गोली मार दी.

मामला केवल इतना भर था कि इन में से एक छात्र ने एक टेलीफोन बुथ से फोन किया और जब दुकानदार ने इनसे दो रुपये अधिक मांगे तो छात्रों ने विरोध किया. इसके बाद आसपास के लोगों के साथ मिलकर दुकानदार ने पहले छात्रों की पिटाई की और बाद में पुलिस को बुला लिया. इस वर्दी वाले हत्यारे शम्से आलम ने तीनों छात्रों को पास से गोली मार दी और फिर इन छात्रों को डकैत बता कर मुठभेड़ की कहानी गढ़ दी.

इन वर्दी वाले हत्यारों को फांसी की सज़ा सुनाये जाने के फैसले को परिजनों ने राहत भरा फैसला करार दिया है. उन्होंने कहा है कि अगर इस हत्या में शामिल दूसरे लोगों को भी फांसी की सजा होती तो उससे बेहतर संदेश जाता.

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