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प्रशांत भूषण ने सीजेआई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों को भेजी शिकायत

नई दिल्ली। डेस्क:
वरिष्‍ठ वकील प्रशांत भूषण ने भारत के मुख्‍य न्‍यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों को लिखित में शिकायत भेजी है. जिन न्‍यायाधीशों को यह शिकायत भेजी गई है, उनमें वे चार जज भी शामिल हैं, जिन्‍होंने 12 जनवरी को प्रेस वार्ता आयोजित कर सुप्रीम कोर्ट में अनियमितताओं की शिकायत की थी और सीजेआई के रोस्‍टर सिस्‍टम पर सवाल उठाए थे.

प्रशांत भूषण ने इस संबंध में प्रेस को भी संबोधित किया. उन्होंने बताया कि शिकायत में सीजेआई दीपक मिश्रा पर चार मुख्‍य आरोप हैं. उन्‍होंने कहा कि जस्टिस चेलमेश्‍वर, जस्टिस गोगोई, जस्टिस जोसेफ, जस्टिस एम बी लोकुर और जस्टिस ए के सीकरी को लिखित शिकायत दी गई है.

प्रशांत भूषण ने सीजेआई पर कई गंभीरप आरोप लगाए हैं जो इस प्रकार हैंः

– प्रशांत भूषण के मुताबिक कुछ लोग मेडिकल कॉलेज घोटाले में सीबीआई के राडार पर थे और इन लोगों की कॉल सीबीआई इंटरसेप्ट भी कर रही थी. उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया में सीबीआई को पता चला कि आरोपियों के बीच जजों को पैसे देने की बात भी हो रही थी. प्रशांत भूषण के मुताबिक इस मामले में सीबीआई एक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को पैसों का लेनदेन करते हुए रंगे हाथ पकड़ना चाहती थी. लेकिन सीजेआई मिश्रा ने सीबीआई को इसकी इजाजत नहीं दी. उन्होंने बताया कि सीजेआई की इजाजत के बिना किसी भी हाईकोर्ट के जस्टिस के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती है. उन्होंने बताया कि बाद में पूर्व जज आईएम कुद्दुसी और कुछ बिचौलियों को पकड़ा गया था.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रशांत भूषण ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया पर आरोप लगाया कि मेडिकल कॉलेज घोटाले में आरोप लगने के बाद भी वह प्रसाद एजुकेशन का पक्ष लेते नजर आए. इस केस में अपने एडमिनिस्ट्रेटिव पावर का इस्तेमाल करते हुए मामले की सुनवाई के लिए 3 जूनियर जजों को शामिल किया. उन्होंने कहा कि इस केस के संबंध में 6 नवंबर 2017 को सीजेआई की बेंच ने एक अदेश दिया जो कि गलत था.

प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि वकील रहते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा ने एक जमीन ली थी जिसमें उन्होंने गलत शपथपत्र दिया था. साल 1985 में एडीएम ने जमीन का अलॉटमेंट को रद्द कर दिया था लेकिन दीपक मिश्रा ने 2012 में जमीन को खाली किया. प्रशांत भूषण ने मांग की है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के तीन सीटिंग जजों की एक कमिटी बने जो इस गंभीर शिकायत पर ध्यान दे क्योंकि मामला भारत के मुख्य न्यायाधीश से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है, ऐसे में कमिटी को इस बात का भी ख्याल रखना होगा कि सरकार की तरफ से ब्लैकमेलिंग न हो.

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