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भूमि कानून की हत्या: राहुल

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: राहुल गांधी ने लोकसभा में कहा एनडीए ने यूपीए के भूमि कानून की हत्या कर दी है. उन्होंने एनडीए के भूमि कानून की खामियां गिनाते हुये कहा कि वर्तमान सरकार सूट-बूट वाली कार्पोरेट की सरकार है. राहुल गांधी का पूरा जोर इस बात पर था कि किसानों की जमीन लेने से पहले उनकी सहमति अनिवार्य हो. इसी के साथ भूमि अधिग्रहण से समाज पर पड़ने वाले प्रभाव का भी आकलन किया जाना चाहिये. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार पर पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार द्वारा पारित भूमि विधेयक की हत्या करने का मंगलवार को आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि सरकार ने अपने नए विधेयक में सहमति तथा सामाजिक प्रभाव पर आवश्यक प्रावधानों को हटा दिया.

नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लोकसभा में लाए गए भूमि विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए राहुल गांधी ने इसे सूट बूट की सरकार तथा कॉरपोरेट समर्थक सरकार करार दिया और इस तरह सरकार की बार-बार चुटकी ली.

उन्होंने कहा, “हमने दो साल मेहनत कर इस विधेयक को लाया था. राजग सरकार ने चंद ही दिनों में इसकी हत्या कर दी.”

उन्होंने संप्रग सरकार द्वारा 2013 में लाए गए भूमि अधिनियम में सहमति के प्रावधान को इस कानून का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा करार दिया.

राहुल ने कहा, “सरकार कहती है कि अगर उसे जमीन छीननी होगी, तो वह किसानों को बताए बिना ऐसा करेगी.”

राहुल ने कहा कि विधेयक का शव गिरने के बाद सरकार ने उस पर दूसरी बार कुल्हाड़ी चलाई है.

उन्होंने कहा कि सरकार का मानना है कि सामाजिक प्रभाव का आकलन नहीं होना चाहिए.

राहुल ने कहा कि सामाजिक प्रभाव का आकलन से यह जानने में मदद मिलेगी कि परियोजना से कौन लाभान्वित होगा.

उन्होंने कहा कि सरकार ने उस प्रावधान को हटाने के लिए तीसरी बार कुल्हाड़ी चलाई है, जिसके तहत पांच साल के भीतर परियोजना शुरू नहीं होने पर जमीन किसान को वापस देने का प्रावधान है.

राहुल ने कहा, “परियोजना चाहे पांच साल में पूरी हो या 50 साल में, अब जमीन किसानों को वापस नहीं दी जाएगी.”

कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि वित्त मंत्रालय द्वारा सूचना के अधिकार कानून के तहत दी गई जानकारी के मुताबिक, केवल आठ फीसदी परियोजनाएं भूमि संबंधी समस्याओं के कारण लंबित हैं.

उन्होंने कहा, “सरकार के पास जमीन है. विशेष आर्थिक जोन में 40 फीसदी जमीनें खाली पड़ी हैं. लेकिन फिर भी आप किसानों की जमीन छीनना चाहते हैं.”

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