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आम बजट पर उद्योग जगत की प्रतिक्रिया

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को लोकसभा में साल 2016-17 का आम बजट प्रस्तुत किया. इस बजट में व्यक्तिगत आयकर स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है. देश में कालाधन रखने वालों के लिए कर-कानून अनुपालन के लिए चार माह का समय दिया गया है और उन पर 45 प्रतिशत का कर और ब्याज लगेगा. वहीं, 5 लाख रुपये से कम की आय वाले आयकरदाताओं को राहत देते हुए धारा 87 एक के तहत छूट की सीमा 2,000 से बढ़ाकर 5,000 रुपये कर दिया गया है.

बजट में आवास किराए पर कटौती की सीमा 20,000 से बढ़कर 60,000 रुपये कर दी गई है. पुराने कर मामलों पर एकबारगी विवाद निपटान योजना शुरू किया गया है और जुर्माना, ब्याज इत्यादि नहीं लगेगा. वहीं, नई विनिर्माण इकाइयों के लिए कॉरपोरेट कर की दर 25 प्रतिशत तय कर दी गई है. पहला घर खरीदने वालों को 35 लाख रुपये तक के ऋण पर 50,000 रुपये तक की अतिरिक्त कटौती मिलेगी. लेकिन इसके लिए घर की कीमत 50 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए.

सरकार ने 2017-18 तक राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 3 प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य रखा है. वहीं 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने की बात कही है. मनरेगा के लिए अभी तक का सर्वाधिक 38,500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है और 1 मई, 2018 तक शत प्रतिशत ग्रामीण विद्युतीकरण का लक्ष्य रखा गया है. गरीबों को एलपीजी कनेक्शन के लिए 2,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है और महिलाओं के लिए एमपीजी कनेक्शन की योजना बनाई गई है.

वहीं, उद्योगों के लिए सरकार नए कर्मचारियों के लिए पहले तीन साल का 8.33 प्रतिशत का ईपीएफ योगदान देगी. स्टार्टअप्स को तीन साल तक 100 प्रतिशत कर छूट मिलेगा. स्टैंड अप इंडिया के लिए 500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. सड़कों और राजमार्गो के लिए 55,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया है.

आईए देखते हैं इस बजट पर उद्योग जगत और सामाजिक संगठनों की क्या प्रतिक्रिया रही :

पीडब्ल्यूसी इंडिया की सहयोगी अनिता रस्तोगी ने बयाया कि अप्रत्यक्ष कर के नजरिये से इस बजट में घरेलू उद्योग को प्रोत्साहन देकर मेक इन इंडिया पर जोर दिया गया है. इसके अलावा कई नए सेस भी लगाए गए हैं, जिनमें कृषि कल्याण उपकर 0.5 फीसदी सभी करयोग्य सेवाओं पर तथा एक फीसदी अवसंरचना उपकर पेट्रोल कार पर और 2.5 से 4 फीसदी उपकर डीजल कारों पर लगाया गया है. इसके अलावा भारत में व्यापार करने में आसानी के लिए क्रेडिट नियमों में बदलाव किया गया है. साथ ही कर संबंधी मुद्दों के सुलझाने पर भी सरकार का विशेष ध्यान है जो स्वागतयोग्य कदम है.

इंटरग्लोब होटल्स के अध्यक्ष जेबी सिह का कहना है कि केंद्रीय बजट में यात्रा और पर्यटन उद्योग में एक मजबूत पारिस्थितकीय तंत्र के निर्माण पर विशेष ध्यान दिया गया है. अवसंरचाना निर्माण के लिए 2,21,246 करोड़ रुपये और सड़क क्षेत्र में 97,000 करोड़ रुपये के निवेश से देश भर में कोने-कोने में कनेक्टिविटी बढ़ेगी. भारत के पर्यटन क्षेत्र में कनेक्टिविटी एक बड़ी समस्या है जिसे दूर किया जा सकेगा.

सिनहेईजर इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया प्रा. लि. के मुख्य वित्तीय अधिकारी और निदेशक (ऑपरेशंस) वीनू चेरियन का कहना है कि इस बजट में देश के सामाजिक-आर्थिक विकास पर जोर दिया गया है और इनमें मुख्य रूप से नौ बिन्दुओं पर फोकस है. जिनमें कृषि और किसानों का कल्याण, ग्रामीक्ष क्षेत्र, सामाजिक क्षेत्र (जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल और रोजगार सृजन शामिल है), अवसंरचना, वित्तीय क्षेत्र सुधार, व्यापार में आसानी, वित्तीय घाटा, कर सुधार ताकि अनुपालन बोझ कम हो, शामिल हैं.

इंटेल-दक्षिण एशिया कार्यकारी निदेशक, उपाध्यक्ष (बिक्री एवं विपणन समूह) देबजानी घोष का कहना है इस साल का बजट ‘क्या होना चाहिए’ और ‘क्या नहीं होना चाहिए’ के बारे में बिल्कुल स्पष्ट है. अन्य साल के बजटों की अपेक्षा इस साल तकनीक और डिजिटल इंडिया पर सरकार ने विशेष ध्यान दिया है. साथ ही शासन सुधार और व्यापार में आसानी पर भी जोर दिया गया है. भारत को ज्ञान आधारित देश बनाने के लिए शिक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया गया है. इंटेल ने 2012 में नाशकॉम के साथ मिलकर नेशनल डिटीजल लाइब्रेरी मिशन की शुरुआत की थी और हमें खुशी है कि सरकार ने तकनीक के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को जारी रखा है.

जेके पेपर के कार्यकारी अधिकारी व उपाध्यक्ष तथा जेके ऑर्गेनाइजेशन के निदेशक हर्ष पति सिंघानिया ने बताया, “अवसंरचना, सस्ते मकान, कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर दिए गए ध्यान का हम स्वागत करते हैं. अवसंरचना और सस्ते मकान के निर्माण से कई उत्पादों और सेवाओं की मांग में इजाफा होगा. इसी प्रकार से कृषि पर जोर देने से ग्रामीण क्षेत्रों की मांग में इजाफा होगा. इन दोनों ही क्षेत्रों ने रोजगार का सृजन होगा. साथ ही सरकार ने कौशल विकास और उच्च शिक्षा पर जोर दिया है, जो अच्छा कदम है. हालंकि कोयला पर कर बढ़ाने से उत्पादन क्षेत्र और ताप विद्युत क्षेत्र पर बुरा असर होगा.”

एंकर इलेक्ट्रिकल्स प्रा. लि. के सह कार्यकारी अधिकारी दिनेश अग्रवाल ने बताया कि 60 वर्गमीटर से छोटे घरों पर सेवा कर हटाने और आवास ऋण में 35 लाख तक छूट देने से आवास अवसंरचना क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा जहां पिछले तीन सालों से मंदी छाई है. सरकार का स्थिर कराधान व्यवस्था, अवसंरना को बढ़ावा और कौशल विकास पर जोर देने कदमों से विदेशी निवेश में बढ़ावा देखने को मिलेगा.

मेकमाईट्रिप के सहसंस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (भारत) राजेश मैगो ने बताया, “वित्त मंत्री ने आज घोषणा की है कि काम ने नहीं लिए जा रहे 160 हवाई अड्डों में से प्रत्येक पर 50 से 100 रुपये उसके पुर्नविकास पर खर्च किए जाएंगे. यह बहुत ही स्वागतयोग्य कदम है. इससे देश में कनेक्टिविटी बढ़ेगी, जिससे पर्यटन क्षेत्र को काफी फायदा होगा. वहीं, इस बजट में हवाई जहाजों के ईधन पर उत्पाद शुल्क 8 से बढ़ाकर 14 फीसदी कर दिया गया है, इसका नकारात्मक असर होगा, क्योंकि उड़्डयन क्षेत्र की हालत कोई अच्छी नहीं है. वहीं, सेवा कर अब 14.5 फीसदी से बढ़कर 15 फीसदी हो गया है, क्योंकि आधा फीसदी उपकर लगाया गया है. हालांकि इससे कृषि क्षेत्र को लाभ होगा और सरकार को दूसरी योजनाओं के लिए पैसा मिलेगा, लेकिन आम उपभोक्ताओं के साथ सेवा से जुड़े उद्योगों पर यह बोझ बढ़ाने वाला कदम है. क्योंकि पिछले कुछ सालों से सेवा कर में लगातार वृद्धि की गई है. साल 2013-14 में यह 12.36 फीसदी था, वहीं अब 15 फीसदी है.”

स्वास्थ्य क्षेत्र की शीर्ष संगठन नैटहेल्थ के महासचिव अंजन बोस का कहना है, “सरकार ने सामाजिक क्षेत्र पर किए जाने वाले खर्च में 15 फीसदी की वृद्धि की है, इससे सभी लोगों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के लंबे समय से जारी लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी. इसके अलावा सरकार ने गरीबों के लिए प्रत्येक परिवार को एक-एक लाख रुपये बीमा देने का फैसला किया है. यह स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए उत्पेरक का काम करेगा. क्योंकि फिलहाल भारत की 73 फीसदी आबादी स्वास्थ्य बीमा से मरहूम है.”

क्राई (चाइल्ड राइट्स एंड यू) की निदेशक (नीति, अनुसंधान व वकालत) कोमल गनोत्रा का कहना है, “देश की मतदान नहीं करने वाली आबादी ने एक बार फिर केंद्रीय बजट 2016-17 में पर्याप्त संसाधन नहीं प्राप्त किया है. इस बजट में जो सामाजिक क्षेत्र पर जोर दिया गया है उसमें बच्चों के मुद्दों को हाशिये पर छोड़ दिया गया है. इस साल बजट में बच्चों के लिए 65,758.45 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है जो साल 2015-16 के 64,635.09 करोड़ रुपये 1123.36 करोड़ रुपये ज्यादा है. बढ़े हुए बजट का 75 फीसदी से ज्यादा हिस्सा मिड डे मिल के लिए 464 करोड़ और राष्ट्रीय पोषण कार्यक्रम के 360 करोड़ रखे गए हैं.”

पैनासोनिक इंडिया एवं साउथ एशिया के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक मनीष शर्मा ने बताया, “सरकार द्वारा कृषि, ग्रामीण, सामाजिक क्षेत्र, कौशल, कारोबार में आसानी, कर और अनुपालन पर जोर देने से मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलेगा. मल्टी-स्किल्ड प्रशिक्षण संस्थान एवं एमओओसीएस के द्वारा युवाओं को प्रशिक्षण देने से विकास का मार्ग प्रशस्त होगा. ”

टीसीआई समूह के प्रबंध निदेशक विनीत अग्रवाल ने बताया कि इस साल बजट में कुछ उत्कृष्ट घोषणाएं की गई है जिससे देश में अवसंरचानों के विकास में काफी मदद मिलेगी. सरकार ने बजट में सड़कों और राजमार्गो के लिए 97,000 रुपये का प्रबंध किया है, इससे माल परिवहन क्षेत्र को काफी फायदा होगा. साथ ही रेलवे, बंदरगाह और घरेलू जलमार्गो के लिए प्रस्तावित निवेश से इन क्षेत्रों में काफी फायदा होगा.

माइक्रोमैक्स के सहसंस्थापक राजेश अग्रवाल का कहना है कि वैश्विक मंदी के दौर में वित्त मंत्री के सामने उद्योग जगत की मांग और आम आदमी के उम्मीदों को पूरा करना एक कठिन कार्य था. सरकार ने इस बजट अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता दिखाई है, लेकिन इसका असर हमें अभी आगे देखने को मिलेगा. वित्त मंत्री ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने पर जोर दिया है. हम उम्मीद करते हैं कि इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजीटल इंडिया का सपना साकार होगा और सभी देशवासी के हाथ में स्मार्टफोन उपलब्ध होगा.

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