राष्ट्र

शंकररमण हत्याकांड: सभी आरोपियों को राहत

पुडुचेरी | एजेंसी: पुडुचेरी की एक अदालत ने बहुचर्चित शंकररमण हत्याकांड के सभी 24 आरोपियों को बुधवार को बरी कर दिया. कांचीपुरम शंकरा मठ के दो संत -जयेंद्र सरस्वती और विजयेंद्र सरस्वती- मामले के मुख्य आरोपी थे. पुडुचेरी के प्रमुख जिला एवं सत्र न्यायाधीश सी. एस. मुरुगन ने नौ साल से चल रहे मामले पर फैसला सुनाया.

आरोपी संतों के वकील ने संवाददाताओं से कहा कि संतों के खिलाफ षड़यंत्र के आरोप साबित नहीं हो पाए.

तमिलनाडु के कांचीपुरम स्थित वरदराजापेरूमल मंदिर के प्रबंधक ए. शंकररमण की मंदिर परिसर में ही उनके कार्यालय में तीन सितंबर, 2004 को हत्या कर दी गई थी.

कांचीपुरम के शंकरा मठ के दो संतों -जयेंद्र सरस्वती और विजयेंद्र सरस्वती- को इस हत्याकांड का मुख्य आरोपी बनाया गया था. इनके अलावा शंकर मठ के प्रबंधक एन. सुंदरसन और जयेंद्र के भाई एम. के. रघु सहित 22 लोगों को हत्याकांड का आरोपी बनाया गया था.

सभी 24 आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत अपराधिक साजिश, अपराध के लिए उकसाने और दूसरे कई अपराधों के मामले दर्ज किए गए थे. मामले के एक आरोपी एम. कतिरावन की इसी साल मार्च महीने में हत्या कर दी गई थी.

यह मामला मठ के वरिष्ठ संत जयेंद्र सरस्वती की याचिका पर चेंगलपेट की एक अदालत से पुडुचेरी की अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया था. जयेंद्र ने याचिका में शिकायत की थी कि तमिलनाडु में स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई के लिए सही माहौल नहीं है, जिसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने 2005 में मामले की सुनवाई पुडुचेरी की अदालत को स्थानांतरित करने की इजाजत दी थी.

शीर्ष अदालत ने पुडुचेरी सरकार को जयेंद्र सरस्वती की याचिका के मद्देनजर अपना सरकारी वकील नियुक्त करने का निर्देश भी दिया था.

मामले की सुनवाई के दौरान 2009 से 2012 तक 189 गवाहों की अदालत में गवाही हुई, जिसमें से 83 गवाह अपने बयान से मुकर गए. यहां तक कि सरकारी गवाह रवि सुब्रमण्यम भी अदालत में पुलिस के सामने दिए गए बयान से पलट गया.

अभियोजन पक्ष ने शंकररमण की पत्नी पद्मा और उनके बेटे आनंद शर्मा को भी गवाह के रूप में पेश किया था.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!