राष्ट्र

SC ने ‘कूलिंग ऑफ’ याचिका खारिज की

नई दिल्ली | एजेंसी: सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों पर ‘कूलिंग ऑफ पीरियड’ लागू करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी. कूलिंग ऑफ यानी सरकारी नौकरी से हटने पर दो साल तक राजनीतिक गतिविधि से अलग रहना.

याचिका में कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय का एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश देश के किसी भी न्यायालय में वकालत नहीं कर सकता और न्यायाधीशों का सरकार के साथ मिलकर काम करने से न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर बुरा प्रभाव पड़ा है.

सर्वोच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश एच.एल.दत्तू, न्यायाधीश एस.ए.बोबडे और न्यायाधीश अभय मनोहर सप्रे की पीठ ने याचिकाकर्ता अली बैंगलोर की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि सेवानिवृत्त न्यायाधीशों का सरकार के साथ इस तरह की गतिविधियों का प्रत्यक्ष या परोक्ष प्रभाव न्यायपालिका की कार्यशैली और उसकी स्वतंत्रता पर पड़ता है.

याचिकाकर्ता के वकील ने विभिन्न समाचारपत्र व पत्रिकाओं में छपी रिपोर्टों का अपने पक्ष में हवाला दिया.

सबसे दिलचस्प बात यह है कि सर्वोच्च न्यायालय में अपने अंतिम कार्यदिवस में पूर्व मुख्य न्यायाधीश आर.एम.लोढ़ा ने सेवानिवृत्ति के बाद दो वर्षो के कूलिंग-ऑफ अवधि की वकालत की थी.

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