छत्तीसगढ़ताज़ा खबर

छत्तीसगढ़ के सोनू सरदार को नहीं होगी फांसी

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के सोनू सरदार को अब फांसी की सज़ा नहीं होगी.सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति ने भी सोनू सरदार को फांसी देने पर अपनी सहमति जताई थी. सोनू की दया याचिका सब जगह से खारिज हो गई थी. लेकिन बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने सोनू सरदार की फांसी की सज़ा को आजीवन कारावास में बदल दिया.

उल्लेखनीय है कि 19 जून 2014 को छत्तीसगढ़ के बैकुंठपुर की अदालत ने सोनू सरदार का डेथ वारंट भी जारी कर दिया था. इसके बाद सोनू को किसी भी समय फांसी दी जा सकती थी. रायपुर जेल में तो फांसी की तैयारी भी शुरु हो गई थी. लेकिन अंतिम समय में उसकी फांसी पर रोक लगा दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने रिट क्रमांक 117/2014 पर सुनवाई करते हुये सोनू सरदार की सज़ा पर रोक लगा दी थी. जस्टिस विक्रमजीत सेन और शिवाकीर्ति सिंह की खंडपीठ ने फांसी की सज़ा पर रोक लगा दी थी.

बैकुंठपुर के इस बहुचर्तित मामले में सोनू सरदार को फांसी की सजा सुनाई गई थी. सोनू सरदार समेत 5 लोगों पर 26 नवंबर 2004 को बैकुंठपुर में कबाड़ का व्यापार करने वाले शमीम अख्तर, शमीम की पत्नी रुखसाना, बेटी रानो (5), बेटे याकूब (3) और पांच माह की एक बेटी की हत्या कर का आरोप था.

हत्या के कुछ दिनों बाद 4 आरोपी पकड़े गये. इस मामले में 2008 में निचली अदालत ने सभी को फांसी की सजा दी थी.

इसके बाद 2010 में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सभी की फांसी की सजा को बरकरार रखा. बाद में 23 फरवरी 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने 4 लोगों की मौत की सजा आजीवन कारावास में बदल दी, लेकिन सोनू सरदार की फांसी की सजा बरकरार रखी थी.

इसके बाद सोनू ने राष्ट्रपति के समक्ष याचिका लगाई थी, जिसे राष्ट्रपति ने खारिज कर दी. भारत सरकार ने 8 मई को सोनू की मौत के फरमान पर मुहर लगाई.

लेकिन फांसी के ऐन पहले फरवरी 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई होने तक सोनू की फांसी को रोक दिया. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने जब याचिका खारिज कर दी गई तो सोनू के वकीलों ने दिल्ली हाईकोर्ट में सोनू की फांसी की सज़ा पर रोक के लिये याचिका लगाई, जिस पर सुनवाई करते हुये आज फांसी की सज़ा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया.

error: Content is protected !!