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योगी के दो फैसलों के बाद स्वामी अग्निवेश का साथ

सुनील कुमार
भारत में आर्य समाज से जुड़े रहे और बंधुआ मजदूरों की मुक्ति के काम में लगे स्वामी अग्निवेश ने बीती रात फेसबुक पर यह लिखा है कि उत्तरप्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अवैध बूचडख़ानों को जो बंद करने का अभियान चलाया है उससे हो सकता है कि कुछ लोगों को दिक्कत हो, लेकिन उसमें एक वरदान छिपा हो सकता है. उन्होंने लिखा कि इससे मांसाहार घटेगा, और शाकाहार को बढ़ावा मिलेगा. पशु-पक्षियों की जान बचेगी, और लोगों की सेहत अच्छी होगी. उन्होंने मोटेतौर पर प्राणियों को बचाने में इस फैसले से मिलने वाली एक परोक्ष मदद की बात लिखी है.

योगी आदित्यनाथ के फैसले को लेकर दो राय नहीं हो सकती कि जो भी अवैध बूचडख़ाने हैं, उनको तो बंद किया ही जाना चाहिए था, और इनके अलावा भी जो भी अवैध कारोबार कहीं भी चलते हों, उन्हें बंद करवाना राज्य सरकार, या कि उसके मातहत स्थानीय प्रशासन का जिम्मा रहना चाहिए. इस हिसाब से यह फैसला अपने आपमें, और पहली नजर में सही लगता है, लेकिन जिस तरह लोकतंत्र में, या कि इंसानी जिंदगी और समाज में कोई भी फैसले टापू की तरह अलग-थलग नहीं होते, और उनसे कई दूसरे मुद्दे भी जुड़े रहते हैं, इसलिए बूचडख़ाने बंद करने के इस फैसले को बहुत सी दूसरी बातों के साथ जोड़कर ही समझा जा सकता है.

उत्तरप्रदेश से दूर बैठे हुए अभी हमको यह जानकारी नहीं है कि ये बूचडख़ाने महज मुस्लिमों के थे, या कि इन्हें चलाने वालों में कुछ हिन्दू भी थे. दूसरी बात यह कि यहां का मांस खाने वाले महज मुस्लिम थे, या कि उनमें हिन्दू भी थे. तीसरी बात यह कि मांस के कारोबार के साथ जुड़ी हुई दूसरी कई किस्म की मजदूरियां भी रहती हैं, और दूसरे कई रोजगार भी साथ-साथ चलते हैं. बूचडख़ानों से जुड़े हुए चमड़े के कारोबार में मुस्लिमों के अलावा बड़ी संख्या में दलित भी काम करते हैं, और उत्तरप्रदेश में चमड़ा उद्योग अनपढ़, गरीब जातियों के रोजगार का एक बड़ा साधन भी है. ऐसे में एक झटके में हुए ऐसे फैसले से रोज कमाने-खाने वाले लोगों की अगले दिन की कमाई कहां से आएगी, इस फिक्र की कोई जगह सीएम योगी के फैसले में नहीं दिखती है. दूसरी बात यह भी नहीं दिखती है कि मांसाहार करने वाले लोग इन बूचडख़ानों के बंद होने के बाद कहां से मांस पाएंगे, इस फैसले के पहले इस पर भी नहीं सोचा गया है. लोकतंत्र में किसी शाकाहारी मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री को भी खान-पान की अपनी पसंद को दूसरों पर लादने की छूट नहीं मिलती.

सीएम योगी का यह फैसला उनकी निजी मान्यताओं से निकला दिखता है, और योगी सहित उनके साथियों का जो रूख मुस्लिमों के लिए बरसों से रहा है, उसे देखते हुए ऐसा न मानने के कोई कारण नहीं दिखते कि यह फैसला मुस्लिमों पर हमला करने के लिए भी लिया गया है. कुछ महीने पहले यह वीडियो रिकॉर्डिंग सामने आई थी जिसमें योगी आदित्यनाथ के संगठन के उनके एक साथी मंच और माईक पर से यह आव्हान कर रहे थे कि दफन की गई मुस्लिम महिलाओं को कब्र से निकालकर उनके साथ बलात्कार करना चाहिए. इस बात पर योगी का कोई विरोध या उनकी कोई असहमति सामने नहीं आई थी, इसलिए यह मानने की पर्याप्त वजह है कि वे इसे सहमत भी थे. अब खुद योगी के दिए हुए सैकड़ों भड़काऊ बयानों को साथ जोड़कर देखें तो मुस्लिमों के चलाए जा रहे अवैध बूचडख़ानों को पल भर में बंद करवाने के उनके फैसले के पीछे की नीयत भी साफ होती है.

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