प्रसंगवश

राहुल को ‘स्पेस’ नहीं देंगे अखिलेश

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कांग्रेस के युवराज यानी राहुल गांधी को करारा जवाब देने की तैयारी कर ली है. वह राहुल को प्रदेश में कोई ‘स्पेस’ नहीं देना चाहते, इसीलिए अब राहुल के दौरे के बाद अखिलेश ने भी बुंदेलखंड का रुख कर लिया है. उप्र की सियासत में बुंदेलखंड अगले चुनाव के लिए बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है. सूखे की मार झेल रहे बुंदेलखंड को लेकर उप्र के राजनीतिक दलों ने सियासत शुरू कर दी है. राजनीतिक दलों के वहां पहुंचने से वहां का सियासी पारा और बढ़ गया है.

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बुधवार को बुंदेलखंड का दौरा किया. यहां उन्होंने हमीरपुर से जोल्हूपुर गांव तक बनी 55 किलोमीटर फोर लेन सड़क का लोकार्पण किया. इसके साथ उन्होंने जालौन और हमीरपुर का दौरा भी किया और कुरारा विकास खंड क्षेत्रों में आने वाले लोहिया गांवों व थाना, ब्लाक, स्कूल सहित अन्य विकास कार्यो का निरीक्षण भी किया.

बुंदेलखंड पर प्रदेश और केंद्र सरकार की अनदेखी का लाभ उठाने के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बुंदेलखंड का दौरा किया. राहुल 23 जनवरी को महोबा में पदयात्रा कर बुंदेलखंड की सियासत को गरमा चुके हैं. वहीं भाजपा विधानमंडल दल के नेता सुरेश खन्ना भी प्रदेश सरकार की नाकामी को उजागर करने के लिए बांदा, महोबा और अन्य जिलों का दौरा कर चुके हैं.

उधर, राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष मुन्ना सिंह का कहना है कि मुख्यमंत्री अखिलेश प्रदेश के किसी भी दौरे पर जाएं, लेकिन प्रदेश का भला होने वाला नहीं है.

वहीं बुंदेलखंड के किसानों के साथ हो रहे भेदभाव और उपेक्षा को लेकर किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष शेखर दीक्षित का कहना है, “केंद्र की पूर्ववर्ती सरकार हो या मौजूदा सरकार, इन सभी लोगांे को चुनाव के समय ही किसानों की याद आती है. किसानों का भला तभी होगा, जब केंद्र सरकार किसान आयोग का गठन करेगी.” उन्होंने कहा कि किसान मंच ‘किसान आयोग’ बनाने का समर्थन करने की मांग करता है.

इस समय बुंदेलखंड में पड़े सूखे ने किसानों और मजदूरों की कमर तोड़कर रख दी है. किसान आत्महत्या कर रहे हैं. उनकी मदद को कोई आगे नहीं आ रहा है. हालांकि सूखे से बर्बाद हुई रबी और खरीफ की फसलों को लेकर प्रदेश और केंद्र की सरकार घोषणाएं कर रही हैं, लेकिन इस पर अभी तक अमल नहीं हुआ है. केंद्र और प्रदेश सरकार ने किसानों की मदद के लिए घोषणा की, मगर अभी तक किसानों को कृषि निवेश की राशि नहीं मिली है.

इस बार भी बरसात नहीं होने से किसान खरीफ और रबी की फसलें नहीं बो सके हैं. उनके मवेशियों के लिए भूसे और परिवार का पेट भरने का इंतजाम नहीं हो सका है. सरकारों द्वारा किसानों को 24 घंटे बिजली देने की घोषणा भी हवा साबित हुई.

हालात बदतर होते देख किसानों ने अपने मवेशियों को खुला छोड़ दिया है. जिले में एक लाख से अधिक मवेशी खुले घूम रहे हैं. किसानों के पास उनको रखने और खिलाने की व्यवस्था नहीं है. ऐसे में गरीब किसान पलायन कर दूसरे प्रदेशों में या ईंट भट्ठों पर काम करने के लिए मजबूर हैं.

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