राष्ट्र

कांग्रेस का कार्ड, शीला दीक्षित?

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: शीला दीक्षित उत्तर प्रदेश चुनाव में कांग्रेस का ब्राम्हण कार्ड हो सकती है. दिल्ली के सत्ता के गलियारों में कयास लगाये जे रहे हैं कि शाम तक उनके नाम की घोषणा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद के लिये कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में हो सकती है. उत्तर प्रदेश चुनाव के लिये कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी किसी ब्राम्हण को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदपार घोषित कर चुनावी समर में उतरने के इच्छुक बताये जाते हैं.

कुछ दिनों पहले तक प्रियंका गांधी के नाम की चर्चा थी परन्तु अब ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस आलाकमान ने शीला दीक्षित की उम्मीदवारी पर मुहर लगा दी है. खबरों के अनुसार खुद शीला दीक्षित भी इसके लिये तैयार है. कुछ हफ्ते पहले तक 78-वर्षीय शीला दीक्षित इस सोच से मुब्तिला लग रही थीं कि उत्तर प्रदेश जाना हारी हुई बाज़ी खेलने जैसा होगा और उन्होंने इस पेशकश को ठुकरा भी दिया था.

लेकिन पिछले सप्ताह NDTV को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि वह वही करेंगी, जैसा पार्टी का अनुरोध होगा. इसके अलावा उन्होंने खुद का ज़िक्र ‘उत्तर प्रदेश की बहू’ के रूप में भी किया, और कहा कि जिन लोगों का दावा है कि वह बाहरी उम्मीदवार हैं, वह सच्चाई से वाकिफ नहीं हैं.

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से चुनावी हार झेलती आ रही कांग्रेस काफी वक्त से उत्तर प्रदेश के लिए रणनीति तैयार करने में जुटी हुई है, जहां अगले साल की शुरुआत में ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. प्रचार के दौरान पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की पुत्री प्रियंका गांधी वाड्रा की भूमिका को लेकर भी काफी सोच-विचार जारी है.

प्रियंका की मां सोनिया गांधी और पार्टी उपाध्यक्ष बड़े भाई राहुल गांधी ही पार्टी के शीर्ष नेता हैं. अब तक के चुनावों में प्रियंका ने इन्हीं दोनों के चुनाव क्षेत्रों क्रमशः रायबरेली और अमेठी में ही पार्टी के लिए प्रचार किया है, लेकिन मांग है कि प्रियंका राज्य के अन्य हिस्सों में भी प्रचार करें.

हाल ही में पार्टी के लिए चुनावी रणनीति बनाने के काम पर लगाए गए प्रशांत किशोर, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2014 में हासिल जीत और पिछले साल बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की शानदार जीत का श्रेय दिया जाता है, की टीम के सूत्रों के अनुसार, वह राज्य में मुख्यमंत्री पद के लिए कोई ब्राह्मण चेहरा चाहते हैं, जिसमें शीला दीक्षित फिट बैठती हैं.

इसके अलावा प्रशांत किशोर के मुताबिक दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में उनका तजुर्बा उत्तर प्रदेश के लोगों को भी लाभान्वित कर सकता है, जो अपने राज्य के पिछड़पन से दुःखी हैं. बहरहाल, कांग्रेस की रणनीति शाम तक साफ होगी.

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