राष्ट्र

धर्मांतरण पर राज्यसभा में रार

नई दिल्ली | एजेंसी: धर्मांतरण का मुद्दा देश के राजनीतिक माहौल को गर्म किये हुए है. राज्यसभा में धर्मांतरण के मुद्दे पर गुरुवार को भी गतिरोध बरकरार रहा. विपक्षी दल और सत्तापक्ष एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहे. ऊपरी सदन में सोमवार से यह मुद्दा छाया हुआ है. इस मुद्दे पर हंगामे के कारण गुरुवार को दोपहर और फिर अपराह्न दो बजे तक कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी.

प्रधानमंत्री प्रश्नकाल के दौरान सदन में मौजूद थे. विपक्षी सदस्यों ने उनसे अपनी बात सुनने और जवाब देने की मांग की.

कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा, “मुद्दे पर गतिरोध रहा है. अब प्रधानमंत्री यहां हैं, हमारा उन्हें अपमानित करने का इरादा नहीं है. उन्हें जवाब देना चाहिए.”

सरकार ने हालांकि विपक्ष की आलोचना करते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि विपक्ष सिर्फ सदन की कार्यवाही में बाधा उत्पन्न करने के इच्छुक हैं.

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, “नियम 267 के तहत चर्चा का नोटिस सोमवार को दिया गया. हम चर्चा के लिए तैयार हैं. लेकिन विपक्ष बहस के तरीके और कौन जवाब देगा, इस पर चर्चा करना चाहता है.”

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के पिछले बयान के बाद भी सदन को चलने नहीं दिया गया था.

जेटली ने कहा, “प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया मैत्रीपूर्ण थी. यह इस बात का संकेत देता है कि सदन को कैसे चलना चाहिए. लेकिन किसी ने कहा कि यह स्वीकार्य नहीं है और इस वजह से बाधा उत्पन्न करने की प्रतिस्पर्धात्मक राजनीति शुरू हुई.”

सभापति एम.हामिद अंसारी ने कांग्रेस सांसद शर्मा से चर्चा शुरू करने के लिए कहा, लेकिन शर्मा ने प्रधानमंत्री से जवाब की मांग की.

इस पर केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री एम.वेंकैया नायडू ने कहा, “क्या प्रधानमंत्री के पिछली बार दिए गए बयान के बाद लगातार तीन दिनों से गतिरोध पैदा करने की जिम्मेदारी आप लेते हैं?”

विपक्षी दलों के सदस्यों ने शून्यकाल के दौरान एक बार फिर यह मुद्दा उठाया. शर्मा ने सरकार पर अहंकारी होने का आरोप लगाया, जिसे जेटली ने खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, “विपक्ष कह रहा है कि सरकार अहंकारी है. जब सत्र शुरू हुआ, प्रधानमंत्री सदन में आए थे और बयान दिया था. लेकिन उसे खारिज कर दिया गया. अब जबकि मुद्दा उठाया जा रहा है, मुझे सदन को आश्वस्त करने दें कि सरकार की अहंकारी होने की कोई इच्छा नहीं है. हम सदन की कार्यवाही चाहते हैं.”

मंत्री ने कहा, “सच्चाई यह है कि दोनों में से एक सदन सामान्य तरीके से चल रहा है, जबकि दूसरे को चलने नहीं दिया जा रहा. यह बहुमत का अहंकार है न कि सरकार का.”

इस पर मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि प्रथम सदन में ‘निरंकुशता का बहुमत’ है, जिस वजह से वह चल रहा है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!