छत्तीसगढ़

विवेकानंद का बचपन छत्तीसगढ़ में गुजरा

रायपुर | एजेंसी: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्वामी विवेकानंद ने अपने बाल्यकाल का सबसे ज्यादा समय बिताया है. राजधानी के इस मकान को शायद ही मालूम हो कि जिस छोटे से बालक को वह पनाह दे रहा है उसी बालक के कारण उसकी एक दिन इतनी बड़ी पहचान बन जाएगी.

मालवीय रोड से बूढ़ा तालाब की ओर जाने वाली सड़क पर एक साधारण से मकान की खास पहचान यह है कि यहां स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन का एक खास हिस्सा गुजारा. इसीलिए इस सड़क से गुजरने वाले लोग इस मकान को एक सम्मान की दृष्टि से देखते हैं. यहां पर उनकी उपयोग की गई वस्तुएं आज भी सुरक्षित हैं.

मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा है कि राजधानी रायपुर के जिस मकान में सन 1877 के आस-पास स्वामी विवेकानंद ने अपना बाल्यकाल बिताया था, उस मकान को स्थायी रूप से संग्रहालय के रूप में विकसित किया जाएगा.

स्वामी विवेकानंद के पिता के दोस्त रायपुर में रहते थे. वे 1877 में विवेकानंद को लेकर यहां आए थे. वे यहां अपने बचपन के दिनों में रहे. जिस कमरे में विवेकानंद स्वामी ने समय गुजारा, वह कमरा यहां आज भी है. इस कमरे में उनके द्वारा उपयोग में लाई गई कुर्सी भी रखी हुई है. स्वामी जी बचपन में यहां स्थित बूढ़ा तालाब में गोता भी लगाते थे.

राजधानी रायपुर के बूढ़ा तालाब के पास भूतनाथ डे का घर था. डे के पिता जी स्वामी विवेकानंद के पिताजी के दोस्त थे. विवेकानंद के पिता वकालत के पेशे से थे, उन्होंने रायपुर में रहकर वकालत की थी. तब कोलकाता से रायपुर का सीधा रेल रास्ता भी नहीं था. उनके पिताजी रेलगाड़ी से कोलकाता से नागपुर होते हुए यहां पहुंचे थे. इसमें उन्हें तीन दिन का समय लगा था.

स्वामी जी जब यहां रह रहे थे, तब उनकी उम्र 14 साल थी. यहां विवेकानंद जिस मकान में रुके थे, उसे संरक्षित करने की लगातार मांग उठती रही है. इसके बाद भी कारगर कदम नहीं उठाया गया है. इसके अभाव में मकान जर्जर हो रहा है.

विवेकानंद के मकान को बीच से दो हिस्सों में बांट दिया गया है. ऐसे में एक हिस्से पर ताला लगा रहता है. दूसरे हिस्से में कोलकाता से ही ताल्लुक रखने वाली शोमा माली अपने परिवार के साथ रहती हैं. वे कहती हैं कि जब शादी के बाद यहां पहुंची तो उनके पति ने पूरी कहानी बताई. यह जानकर उन्हें बहुत खुशी हुई. वे बताती हैं कि उन्हें इस बात का गर्व है कि वे उस मकान में रहती हैं जहां स्वामी जी रहते थे.

स्वामी विवेकानंद का कमरा और पूरा घर डे परिवार के आधिपत्य में है. ऐसे में सरकार संरक्षित करने में सफल नहीं हुई है. राज्य सरकार ने बूढ़ा तालाब का नाम भी स्वामी विवेकानंद सरोवर रखा है. यहां उनकी विशाल प्रतिमा भी स्थापित की गई है. बहरहाल सूबे में स्वामी जी के नाम पर बड़ा आश्रम, ऐतिहासिक सरोवर, एअरपोर्ट सहित विश्विद्यालय और अन्य संस्थान आज भी उनकी उपस्थिति का अहसास कराती हैं.

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