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व्यापमं: 634 MBBS छात्रों का एडमिशन रद्द

नई दिल्ली | संवाददाता: सुप्रीम कोर्ट ने सामूहिक नकल के दोषी मध्यप्रदेश के 634 एमबीबीएस छात्रों का एडमिशन रद्द कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर ने सभी याचिकाओं को रद्द करते हुये साल 2008-2012 के दौरान के एमबीबीएस छात्रों के एडमिशन को रद्द करने का फैसला दिया है.

गौरतलब है कि दाखिले और भर्ती को लेकर मध्यप्रदेश में व्यापमं घोटाला सामने आया था. यह घोटाला तब उजागर हुआ जब इंदौर पुलिस ने 2009 के पीएमटी प्रवेश से जुड़े 20 नकली अभ्यर्थियों को गिरफ्तार कर लिया था.

ये नकली अभ्यर्थी किसी दूसरे अभ्यर्थियों के स्थान पर बैठकर परीक्षा दे रहे थे. इन छात्रों से पूछताछ के बाद यह बात सामने आयी कि राज्य में कई ऐसे रैकेट है जो फर्जी तरीके से एडमिशन कराते हैं.

उल्लेखनीय है कि इससे पहले 268 छात्रों की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने एक दिलचस्प फैसला सुनाया था. मामले की सुनवाई कर रही बेंच ने दो अलग-अलग फैसले सुनाये थे.

जस्टिस जे चेलामेश्वर ने फैसला सुनाते हुये कहा था कि जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए सभी 634 छात्रों को ग्रेजुएशन पूरा होने के बाद पांच साल तक भारतीय सेना के लिए बिना किसी वेतन के काम करना पड़ेगा. पांच साल पूरे होने पर ही उन्हें डिग्री दी जायेगी. इस दौरान उन्हें केवल गुजारा भत्ता दिया जायेगा.

वहीं जस्टिस अभय मनोहर सप्रे ने हाईकोर्ट के दाखिला रद्द करने के फैसले को बरकरार रखते हुये छात्रों की अपील को खारिज कर दिया था.

इसके बाद मामले को तीन जजों की बेंच में भेजा गया.

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