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महिलायें जंक फूड को ना नहीं कहती

मेलबर्न | समाचार डेस्क: आमतौर पर जंकफूड की ओर पुरुषों की अपेक्षा, महिलाओं का झुकाव ज्यादा होता है. एक नए शोध में बताया गया है कि किशोरावस्था में स्वास्थ्यवर्धक भोजन से पुरुषों में जंक-फूड के प्रति लगाव कम किया जा सकता है, लेकिन महिलाओं में इसकी संभावना कम होती है. ‘एफएएसईबी’ पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, जंक फूड के प्रति झुकाव की तीव्रता काफी हद तक, गर्भावस्था के अंतिम दिनों में माता के आहार पर भी निर्भर करता है.

वयस्क होने के दौरान जंक फूड से जुड़ी दो महत्वपूर्ण विंडो हैं.

आस्ट्रेलिया के एडिलेड विश्वविद्यालय में पोस्ट-डॉक्टर शोधकर्ता जेसिका गुगुशेफ ने बताया, “हमारे शोधकर्ताओं का कहना है कि मनुष्यों में गर्भावस्था के अंतिम दिनों में मां का ज्यादा जंक फूड लेना, गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में उसके जंकफूड लेने की अपेक्षा, बच्चे के लिए कहीं ज्यादा नुकसानदायक हो सकता है.”

गुगुशेफ ने कहा, “शोध में यह भी बताया गया है कि अगर माता ने गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में जंकफूड खाया है, तो गर्भावस्था के अंतिम दिनों में उसे कम करके, बच्चे पर पड़ने वाले इसके नकारात्मक प्रभावों को रोका सकता है.”

अध्ययन के अनुसार, दूसरी महत्वपूर्ण विंडो किशोरावस्था के दौरान जंक फूड के प्रति लगाव को दूर करने की है.

गुगुशेफ ने बताया, “हमने पुरुषों और महिलाओं में अंतर पाया. हमारे प्रयोगों ने दर्शाया कि पुरुष, किशोरावस्था के दौरान स्वास्थ्यवर्धक आहार खाकर जंक फूड की प्राथमिकताओं को बदल सकते हैं, लेकिन महिलाएं ऐसा नहीं कर पातीं.”

मना जाता है कि जंकफूड की वरीयता, सामान्य प्रतिफल प्रणाली के एक गंतव्य का परिणाम माना जाता है.

कम संवेदनशील प्रतिफल प्रणाली वाली संतानों को ऐसे एहसास के लिए अधिक वसा और चीनी की जरूरत होती है.

परियोजना के नेतृत्वकर्ता बेवर्ली मुहल्हॉस्लर ने बताया, “दिमाग का यह हिस्सा इन महत्वपूर्ण विंडो में किशोरावस्था के दौरान सबसे तेज विकास करता है, इसलिए इस दौरान परिवर्तन की संभावना सबसे ज्यादा होती है.”

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