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बस्तर विमान सेवा अब 9 अगस्त से

रायपुर | संवाददाता: रायपुर से बस्तर हवाई सेवा 24 जुलाई से भी शुरु नहीं हो सकी. अब कहा जा रहा है कि यह सेवा 9 अगस्त के बाद ही शुरु हो पायेगी. इस महत्वाकांक्षी सेवा की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने की 15 तारीख को किया था. लेकिन 6 जुलाई से ही इस विमान सेवा को बंद कर दिया गया है.

बस्तर में हवाई सेवा के हाल का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि उद्धाटन के अगले ही दिन जगदलपुर से विशाखापटनम की सेवा रद्द कर दी गई क्योंकि विमानन सेवा का संचालन करने वाली कंपनी ने विशाखापटनम हवाई अड्डे पर विमान उतारने संबंधी औपचारिकता ही नहीं की थी.

इसके बाद 6 जुलाई से 21 जुलाई तक इस सेवा को रद्द करने की सूचना एयर उड़ीसा ने सार्वजनिक की. लेकिन 21 जुलाई से भी यातायात सेवा बहाल नहीं हो सकी. इसका बाद इसे बढ़ाकर 24 जुलाई तक किया गया था.

अब कहा जा रहा है कि भुवनेश्वर, जगदलपुर-विशाखापट्टनम से जोड़ने वाली उड़ान 9 अगस्त तक रद्द रहेगी. कहा जा रहा है कि मेन्टेनेंस के लिये अहमदाबाद गया विमान अब तक तैयार नहीं हो पाया है. हालांकि संचालन करने वाली कंपनी एयर ओडिशा का दावा है कि 9 अगस्त के बाद कोई परेशानी नहीं जायेगी. लेकिन बार-बार रद्द हो रही हवाई सेवा के मद्देनजर कंपनी के दावे पर कितना यकीन किया जाये, इसे लेकर यात्रियों में संशय है.

उद्घाटन में 14 जून 2018 को प्रधानमंत्री ने क्या कहा था
कई वर्षों में हिन्दुस्तान में जब बस्तर की बात आती थी, तो पंप, बंदूक, पिस्तौल और हिंसा की बात आती थी, आज बस्तर की बात जगदलपुर के हवाई अडडे से जुड़ गई है.

मेरा सपना है हवाई चप्पल पहनने वाला भी हवाई जहाज में जा सके इस सोच के साथ उड़ान योजना चलाई जा रही है. और देश भर में नए हवाई अड्डों का निर्माण किया जा रहा है. ऐसा ही एक शानदार हवाई अड्डा आपके जगदलपुर में बना रहे हैं. आज जगदलपुर से रायपुर के लिए उड़ान भी शुरू हो गई है. अब जगदलपुर से रायपुर की दुसरी यानी रायपुर और जगदलपुर के बीच की दूरी छ: से सात घंटे की जगह सिर्फ 40 मिनट रह गई है.

ये सरकार की नीतियों का ही असर है कि अब ट्रेन में एसी डिब्बों में सफर करने वालों से ज्यादा यात्री हवाई जहाज में सफर कर रहे हैं. एक जमाने में रायपुर में तो दिनभर में सिर्फ छ: फ्लाइट आती थी. अब वहां रायपुर एयरपोर्ट पर एक दिन में पचास फ्लाइट आने जाने लग गई हैं. आने-जाने के इन नए साधनों से न सिर्फ राजधानी से दूरी घटेगी लेकिन पर्यटन बढ़ेगा, उद्योग धंधे लगेगे और साथ ही साथ रोजगार के नए अवसर भी तैयार होंगे.

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