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कन्हैया को पीटा ऩहीं गया: बस्सी

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: दिल्ली पुलिस आयुक्त ने अदालत परिसर में कन्हैया कुमार को पीटे जाने से इंकार किया है. वहीं माकपा ने कहा है कि दिल्ली के पुलिस आयुक्त बीएस बस्सी को पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है. माकपा ने सर्वोच्य न्यायालय के निर्देशानुसार कन्हैया कुमार को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया न करवाने के लिये दिल्ली पुलिस की निंदा की है. दिल्ली के पुलिस आयुक्त बीएस बस्सी ने बुधवार को कहा कि उन्हें ऐसा नहीं लगता कि पटियाला हाउस कोर्ट में पेशी के लिए लाए जाने के दौरान जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को पीटा गया था. बस्सी ने संवाददाताओं से कहा, “मुझे नहीं लगता कि आप यह कह सकते हैं कि स्थिति काबू से बाहर चली गई थी, मुझे नहीं लगता कि उन्हें पीटा गया था. मुझे जानकारी मिली है कि उन्हें अदालत लाए जाने के दौरान कुछ धक्का-मुक्की हुई थी और इसमें उनकी एक चप्पल खो गई.”

उन्होंने कहा कि कन्हैया का ख्याल रखा जा रहा है. पुलिस अफसर उन्हें सुरक्षित लेकर गए.

बस्सी ने कहा, “धक्का-मुक्की के दौरान हमारे पुलिस अधिकारी उन्हें सुरक्षित रखने के लिए आगे और पीछे से कवर किए हुए थे. हमारी रणनीति थी कि बल प्रयोग न किया जाए क्योंकि ऐसा करने का उल्टा असर हो सकता था.”

उधर, माकपा ने बुधवार को मांग की कि जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर यहां एक अदालत परिसर में वकीलों के एक वर्ग द्वारा हमला किए जाने के बाद दिल्ली पुलिस आयुक्त बीएस बस्सी को पद छोड़ देना चाहिए. मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने पुलिस की नाक के नीचे कन्हैया कुमार पर हमले के लिए आरएसएस/भाजपा के गुंडों को जिम्मेदार ठहराया. कन्हैया कुमार को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.

माकपा की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, “यह देश की राजधानी में कानून प्रवर्तन बल की पूर्ण विफलता का मामला लगता है और न्यायिक आदेश की धज्जियां उड़ाई गई.”

बयान में कहा गया है, “माकपा सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के निर्देशों के अनुसार कन्हैया कुमार को पर्याप्त सुरक्षा न मुहैया कराने के लिए दिल्ली पुलिस की कड़ी निंदा करती है.”

बयान में कहा गया है, “बस्सी ने खुलेआम इस हमले को जायज ठहराया है. उन्हें पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है.”

बयान में आगे कहा गया है, “यह देश में न्याय निष्पादन प्रक्रिया को ध्वस्त करने की एक स्पष्ट कोशिश के अलावा कुछ नहीं है. इस तरह की हरकत अत्यंत अधिनायकवादी और फासिस्टवादी प्रवृत्तियों की याद ताजा करती है.”

जेएनयूएसयू के अध्यक्ष को 12 फरवरी को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किए जाने के बाद वह पुलिस हिरासत में थे. कुमार को कथिततौर पर भारत विरोधी नारे लगाने के लिए गिरफ्तार किया गया है. लेकिन उन्होंने आरोप से इंकार किया है. बुधवार को कुमार को दो मार्च तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

माकपा ने कहा, “ये आरोप निराधार हैं.” पार्टी ने मांग की कि कन्हैया कुमार को तत्काल रिहा किया जाए और उनके खिलाफ तथा अन्य विद्यार्थियों के खिलाफ लगाए गए देशद्रोह के आरोप हटाए जाएं.

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