बाज़ार

सोने में लौट सकती है चमक

नई दिल्ली | एजेंसी: कमजोर मानसून के कारण गांवों में मांग कम रहने के बाद भी समग्र तौर पर बेहतर स्थिति के कारण 2014 की दूसरी छमाही में सोने में चमक लौट आने की उम्मीद है. यह बात विश्व स्वर्ण परिषद के महानिदेशक सोमासुंदरम पी.आर. ने कही.

उन्होंने कहा, “दूसरी छमाही एक साल पहले की स्थिति से बेहतर रहेगी. प्रथम छमाही में 80:20 का मुद्दा और शुल्क की उम्मीद हावी थी.”

उन्होंने कहा, “लोगों को उम्मीद थी कि कीमत 25 हजार रुपये प्रति 10 तक पहुंच जाएगी. उसी वक्त चुनाव का समय आ गया, जिसका मांग पर अपना ही असर रहा. व्यापारिक संचालन से संबंधित मुद्दे भी थे.”

सोने की कीमत अभी 28 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास है. 2013 में यह अप्रैल में 26,446 रुपये और अगस्त में 34,600 रुपये थी.

आज लोगों के जेहन में शुल्क कटौती की बात धुंधली पड़ गई है.

वर्ष 2013 में सरकार ने शुल्क को छह फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी कर दिया था. फिर भारतीय रिजर्व बैंक ने 80:20 का नियम लाया, जिसके तहत कुल आयातित सोने का पांचवां हिस्सा निश्चित रूप से निर्यात के लिए रखा जाना चाहिए.

विश्व स्वर्ण परिषद के मुताबिक 2014 में भारत में सोने की कुल मांग 850 से 950 टन रहने वाली है, जो 2013 में 974 टन थी.

सोमासमुद्रम ने कहा कि 2013 में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के कारण देश में सोने के तस्करी का बाजार फलने-फूलने लगा है.

उन्होंने कहा कि पिछले साल सोने की तस्करी का बाजार 150-200 टन का था, जो इस साल 200 टन से अधिक रहने वाला है.

उन्होंने सवाल उठाया कि निर्यात बढ़ाने के लिए 80:20 नियम की आड़ नहीं लेनी चाहिए, बल्कि देश का ब्रांड वैल्यू बनाने की कोशिश करनी चाहिए.

ब्रांड वैल्यू का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि स्विस घड़ियों की आज उपयोगिता नहीं रह गई है, फिर भी खरीदी जाती है.

भविष्य में सोने की कीमत के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि प्रथम छमाही में कीमत में उतार-चढ़ाव देखी गई. यदि वैश्विक स्थिति कमोबेश समान रहती है, तो कीमत की यह स्थिति बनी रहेगी.

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