राष्ट्र

बेहद निडर थे हनुमनथप्पा

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: हनुमनथप्पा कोप्पड़ के निधन के बाद देशभर में शोक की लहर है. इनके निधन पर प्रधानमंत्री मोदी, उप राष्ट्रपति, अरविंद केजरीवाल तथा सेना ने शोक जताया है. बेहद निडर, उतने ही जोशीले और ऐसे कि बिना हिचके मौत की आंख में आंख डालने वाले-ऐसे थे लांस नायक हनुमनथप्पा. सियाचिन ग्लेशियर में टनों बर्फ के नीचे छह दिन तक दबे रहने के बाद जिंदा निकलने वाले हुनमनथप्पा गुरुवार को दिल्ली में सेना के अस्पताल में जिंदगी की जंग हार गए. हनुमनथप्पा 33 साल के ही थे. शारीरिक रूप से बेहद मजबूत. उन्होंने खुद से आगे बढ़कर एक से अधिक बार निहायत कठिन और खतरनाक जगहों पर तैनाती ली थी. कुल 13 साल की सैन्य सेवा में 10 साल उन्होंने ऐसी ही कठिन और खतरनाक जगहों पर सेवा दी थी.

खतरों से जूझने में पूरी मजबूती दिखाने वाले इस बहादुर योद्धा के चेहरे पर निजी जीवन में हमेशा मुस्कान फैली रहती थी. अपने सहकर्मियों और कनिष्ठों के साथ उनका बहुत सौहार्दपूर्ण संबंध था.

कर्नाटक के धारवाड़ जिले के बेटाडुर गांव के हनुमनथप्पा 25 अक्टूबर 2002 को मद्रास रेजीमेंट की 19वीं बटालियन में शामिल हुए थे.

वह 2003 से 2006 तक जम्मू एवं कश्मीर के माहौर में तैनात रहे और देश के खिलाफ होने वाले विद्रोह से निपटने में सक्रिय हिस्सेदारी की.

उन्होंने एक बार फिर खुद से जम्मू एवं कश्मीर में तैनाती ली. वहां 2008 से 2010 के दौरान उन्होंने आतंकवादियों से मुकाबलों में अपने अदम्य साहस का परिचय दिया था.

उन्होंने 2010 से 2012 तक पूर्वोत्तर में भी खुद को तैनात करने के लिए आगे किया था. वहां उन्होंने नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट आफ बोडोलैंड और युनाइटेड लिबरेशन फ्रंट आफ असम (उल्फा) के खिलाफ अभियानों में हिस्सेदारी की.

हनुमनथप्पा 2015 अगस्त से सियाचिन में तैनात थे. उनकी तैनाती सोनम चौकी पर थी जिसे दुनिया की सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित चौकी माना जाता है. यहां पर तापमान माइनस 40 डिग्री तक चला जाता है और 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक से बर्फीली हवाएं चलती हैं. यहां पर 10 सैनिक तैनात थे. दुनिया की सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित हवाई पट्टी की निगरानी इनके जिम्मे थी. सियाचिन ग्लैशियर में तैनात सैनिकों के लिए सामान यहीं उतरता है.

यहीं पर 3 फरवरी को आए हिमस्खलन में हनुमनथप्पा समेत सभी 10 सैनिक बर्फ के नीचे दब गए. इनमें एक अधिकारी भी थे. नौ सैनिकों के शव निकले. हनुमनथप्पा जीवित निकले. वह अपने अन्य बहादुर साथियों के मुकाबले कुछ अधिक दिन जिए. गुरुवार को उनका भी निधन हो गया.

हनुमनथप्पा का शव विमान से धारवाड़ ले जाएगी कर्नाटक सरकार

कर्नाटक सरकार लांस नायक हनुमनथप्पा कोप्पड़ के शव को दिल्ली से धारवाड़ ले जाने के लिए विमान की व्यवस्था कर रही है. एक अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि विमान से हनुमनथप्पा के परिजन भी दिल्ली से धारवाड़ जाएंगे.

अधिकारी ने कहा, “चार्टर्ड विमान गुरुवार को पंजिम या हुबली के लिए उड़ान भरेगा. वहां से हनुमनथप्पा के शव को उनके धारवाड़ स्थित पैतृक गांव बेटाडुर ले जाया जाएगा.”

विमान में हनुमनथप्पा की पत्नी महादेवी, मां बासव्वा, दो साल की बेटी नेत्रा और भाई गोविंदप्पा भी होंगे.

अधिकारी ने कहा कि हनुमनथप्पा का अंतिम संस्कार शुक्रवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा.

उधर, हनुमनथप्पा के गांव में शोक का माहौल है. पुलिस व्यवस्था बनाने में लगी हुई है. बड़ी संख्या में लोग हनुमनथप्पा के घर पहुंच रहे हैं.

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