छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में स्टील उद्योग बंदी के कगार पर

रायपुर । संवाददाता: छत्तीसगढ़ के स्टील उद्योग बंदी के कगार पर हैं. वर्ष 2007 से लेकर 2013 के बीच छत्तीसगढ़ के 83 मिनी स्टील प्लांट बंद हो चुके हैं. बाकी के करीब 117 मिनी स्टील प्लांटो ने शनिवार, 2 अगस्त से अपनी फैक्ट्रियों में ताला लगा दिया है.

इन 117 मिनी स्टील प्लांटों के बंदी के कारण कम से कम पचास हजार कामगारों का भविष्य भी अनिश्चित हो गया है. आगामी विधानसभा चुनाव की तैय्यारियों में व्यस्त रमन सरकार के पास इनकी समस्याओं को सुनने के लिये वक्त नही है. इसी कारण छत्तीसगढ़ के सभी मिनी स्टील प्लांट अपने संगठन के बैनर तले हड़ताल पर चले गये हैं.

कभी छत्तीसगढ़ में देश का सबसे बड़ा स्टील उद्योग था और 200 के करीब मिनी स्टील प्लांट हुआ करती थी.आज जब छत्तीसगढ़ के सभी मिनी स्टील प्लांट बंद है तो इससे आम जनता को भी जूझना पड़ेगा. मकान बनाने तथा अन्य निर्माण में लोहे की छड़ तथा दूसरी वस्तुओं का उपयोग किया जाता है. जिन्हें छत्तीसगढ़ के यही मिनी स्टील प्लांट बनाते हैं. अब इनके बंद हो जाने से भवन निर्माण सामग्री का खर्च बढ़ जाना स्वभाविक है.

वैसे भी इन मिनी स्टील प्लांटों में अपनी क्षमता का पचास प्रतिशत ही उत्पादन हो रहा था. इसके उलट छत्तीसगढ़ के बड़े स्टील प्लांटों में उत्पादन बढ़ रहा है. भारत सरकार के योजना आयोग ने बारहवीं पंचवर्षीय योजना के लिये जो योजना बनाई है उसके अनुसार छत्तीसगढ़ में बड़े स्टील प्लांटों का उत्पादन बढ़ने वाला है.

उदाहरण के तौर पर जिंदल स्टील के दोनों प्लांटों में वर्ष 2014, 2015 तथा 2016 में उत्पादन क्रमशः 2-3-3.5 मिलियन मीट्रिक टन तथा 4-4-4 मिलियन मीट्रिक टन होगा. उसी तरह मोनेट इस्पात का उत्पादन भी क्रमशः 1.5-1.5-1.5 मिलियन मीट्रिक टन रहने वाला है.

देश में ग्यारहवीं योजना के दरम्यान स्टील उद्योग का विकास आठ प्रतिशत से ज्यादा की दर से हुआ है. इसी ग्यारहवीं योजना में देश के स्टील प्लांटों ने अपनी उत्पादन क्षमता का 88 से 90 प्रतिशत का उत्पादन किया. जबकि छत्तीसढ़ में मिनी स्टील प्लांट अपनी क्षमता का केवल पचास प्रतिशत ही उत्पादन कर पा रहें हैं.

ऊपर के परिदृश्य से यह स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ में छोटे तथा मझोले उद्योगों को प्रोत्साहन नही दिया जा रहा है. रमन सरकार का पूरा ध्यान बड़े उद्योंगपतियों के विकास पर है. जिनमें जिंदल तथा मोनेट जैसे घराने शामिल हैं. इनमें से तो जिंदल को कोयले की सुविधा भी प्रदान की जा रही है. जिंदल घराने को कोयले के कई खदान आबंटित किये जा चुके हैं.

यदि आप दुनिया पर नजर डालेंगे तो पायेगें कि पूरी दुनिया में छोटे तथा मझोलें उद्योगों को बढ़ावा दिया जा रहा है. हमारे देश में भी इन उद्योगों को बढ़ावा दिया जा रहा है. कारण यह है कि ये उद्योग, बड़े उद्योगों की तुलना में ज्यादा रोजगार सघन होते हैं. इससे लाखो-करोड़ों लोगो को रोजगार मिलता है. इन छोटे तथा मझोले उद्योगों से देश में विदेशी मुद्रा बड़े उद्योगों की तुलना में ज्यादा आती है.

इतना महत्वपूर्ण होने के बावजूद यदि छत्तीसगढ़ में इन उद्य़ोगों का औद्योगिकीकरण हो रहा हो तो इसे उल्टी गंगा का बहना कहा जा सकता है. छत्तीसगढ़ के मिनी स्टील प्लांटों की मांग है कि सरकार इन्हें रात के दस बजे से सुबह के छः बजे तक दी जानी वाली बिजली के दरों में तीस प्रतिशत की छूट दे. बिजली के बिलों में लगने वाले छः प्रतिशत के सेस में भी छूट दे. इसके अलावा बिजली के लिये मांग प्रभार के रुप में हर महीने 12 लाख रुपये को भी दो सालों के लिये आधा किया जाये.

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