राष्ट्र

मोदी सरकार के 30 दिन पूरे

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: नरेंद्र मोदी सरकार के एक महीने पूरे हो गये हैं. इस एक महीने में जनता को गैस की कीमतों में बढ़ोत्तरी टलने का पहला सुखद समाचार मिला है. इससे पहले जनता एक के बाद एक झटके सहती रही है.

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमिटी की बैठक के बाद कहा कि कमिटी ने फिलहाल तीन महीने के लिए प्राकृतिक गैस के दाम बढ़ाने के मुद्दे को स्थगित कर दिया है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर सरकार सभी पक्षों से बात करेगी.

माना जा रहा था कि मोदी सरकार गैस के दाम में बढ़ोतरी कर सकती है. मोदी सरकार इस बात की संभावना तलाशने में जुटी थी कि घरेलू स्तर पर उत्पादित होने वाले प्राकृतिक गैस की कीमत तय करने को लेकर पूर्व सरकार द्वारा मंजूर रंगराजन कमेटी की सिफारिशों को लागू करने में कुछ संशोधन किया जा सकता है या नहीं.

इस एक महीने में नरेंद्र मोदी की सरकार ने जो महत्वपूर्ण फैसले लिये हैं, उसमें अधिकांश फैसलों से जनता में नाराजगी है. सबसे बड़ा झटका रेल यात्री किराये और माल भाड़े में क्रमश: 14.2 प्रतिशत एवं 6.5 प्रतिशत की वृद्धि ने दिया है. वृद्धि की दर हालांकि 14.2 बताई गई है लेकिन हकीकत में इसके अलावा जो बढ़ोत्तरी हुई है, वह इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी बढ़ोत्तरी है. शक्कर की कीमत में बढ़ोत्तरी का अप्रत्याशित फैसला भी मोदी सरकार के खिलाफ गया है.

हालांकि सरकार ने कुछ अच्छे फैसले भी लिये हैं, लेकिन उनकी चर्चा कम ही हो रही है क्योंकि सीधे तौर पर उसके कोई प्रतिफल अभी सामने नहीं आये हैं. मोदी सरकार के 30 दिनों के फैसलों में विदेशों में जमा काले धन का पता लगाने के लिए विशेष जांच दल गठित, मंत्रियों को पहले 100 दिनों का टाइमटेबल तैयार करने, दस बड़ी प्राथमिक नीतियों का खाका बनाने, दोबारा कैबिनेट समितियां बनाने, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अधिकारियों में हिंदी भाषा के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रपत्र जारी करने जैसे फैसले भी मोदी ने इस दौर में लिये हैं.

पहला महीना ऐसे फैसलों का गवाह रहा जिससे पुराने दिनों की विदाई की झलक मिलती है. प्रधानमंत्री का कार्यालय (पीएमओ) सत्ता की धुरी बना, पूर्व की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के समय का तंत्र मंत्रियों के समूह का बोरिया-बिस्तरा बांध दिया गया और मोदी ‘सभी महत्वपूर्ण नीतिगत मुद्दों’ को अपने ही कब्जे में रख रहे हैं.

लेकिन जिन कदमों से मोदी ने मीडिया में सकारात्म सुर्खियां बटोरी थी उनपर अब चुनौतियों का ग्रहण लग चुका है. उनकी सरकार के सामने इराक में भारतीयों के अपहरण, आसमान छूती महंगाई का और जानलेवा होना और कमजोर मानसून की भविष्यवाणी सुरसा बनकर खड़ी है. पहले महीने में सरकार ने रेल किराए में 14 प्रतिशत की वृद्धि करने का अलोकप्रिय फैसला लिया जबकि नई सरकार का पहला बजट 10 जुलाई को पेश किया जाना है.

भारतीय जनता पार्टी के एक नेता ने कहा कि रेल किराया-भाड़ा में वृद्धि पहला कड़ा कदम है और इसके बाद और भी कदम उठाए जाएंगे. भाजपा उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने आईएएनएस से कहा, “कुछ और भी कदम उठाए जाएंगे जो संभवत: लोकप्रिय नहीं हों लेकिन वे देश हित में होंगे.”

उन्होंने कहा, “संप्रग ने अर्थव्यवस्था को तबाही में लाकर रख दिया था, इसलिए कुछ ऐसे फैसले लेने होंगे जो लोकप्रिय नहीं होंगे.”

राज्यपालों और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोगजैसे संस्थानों के प्रमुखों के इस्तीफा दिए जाने के लिए कहे जाने के आरोप का भाजपा ने खंडन किया है.

नकवी ने कहा, “हमारी सरकार ने किसी को भी पद छोड़ने के लिए नहीं कहा है. यह उन लोगों को खुद ही विचार करना चाहिए कि उन्हें उस पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार है?”

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