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मोदी लहर का फैसला बुधवार को?

मुंबई | समाचार डेस्क: क्या मोदी लहर अब भी है यह सवाल उप चुनावों के नतीजों के बाद तेजी से उछला था. बुधवार को महाराष्ट्र विधानसभा के लिये मतदान होने हैं. उल्लेखनीय है कि इस बार सभी प्रमुख पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ रही हैं. एक तरफ भाजपा-शिवसेना तथा दूसरी तरफ कांग्रेस-राकांपा का गठबंधन टूट चुका है. महाराष्ट्र विधानसभा के लिये हुए प्रचार में प्रधानमंत्री मोदी ने करीब तीन दर्जन चुनावी सभाएं करके लोकसभा चुनाव की याद दिला दी है. वहीं कांग्रेस के राहुल गांधी तथा सोनिया गांधी ने भी करीब दो दर्जन चुनावी सभाएं की हैं.

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के समय भाजपा को 27 फीसदी, शिवसेना को 21 फीसदी, कांग्रेस को 18 फीसदी तथा राकांपा को 16 फीसदी मत मिले थे. जाहिर है कि भाजपा को सबसे ज्यादा फीसदी मत मिले थे. यदि लोकसभा चुनाव के समय का ट्रेंड जारी रहा तो भी भाजपा अपने दम पर बहुमत नहीं ला सकती है. तमाम सर्वे भी यही इशारा कर रहें हैं कि भाजपा सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद स्पष्ट बहुमत से दूर रह जायेगी. यहीं पर फिर से मोदी लहर की बात उठेगी कि वह अब तक अस्तित्व में है या नहीं?

हालांकि, लोकसभा चुनाव के बाद नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद, वोट मोदी सरकार के काम के आधार पर पड़े तो आश्चर्य न होगा. प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पद ग्रहण करने के बाद विदेश नीति के मोर्चे पर जरूर सफलता पाई है. इससे उन्हें जो लाभ होने जा रहा है उसे महंगाई ने कम तो किया ही है. हां, चीन तथा पाकिस्तान का मुद्दा मतदाताओं को जरूर प्रभावित कर सकता है. भारत के सीमा पर ‘जवाब’ के बाद पाकिस्तान, संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर का रोना रो रहा है तथा उसे कोस रहा है. वहीं, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत दौरे के बाद चीनी सेना ने घुसपैठ बन कर दी है. इन दोनों राष्ट्रीय गौरव का महंगाई तथा बेरोजगारी से जूझ रही जनता पर सकारात्मक असर हो सकता है.

उल्लेखनीय है कि नरेन्द्र मोदी की छवि एक प्रखर राष्ट्रवादी नेता की रही जिसमें उनके प्रदानमंत्री बनने के बाद इज़ाफा हुआ है. इससे लोकसभा चुनाव के समय 21 फीसदी मत पाने वाली शिवसेना पर नकारात्मक असर पड़ सकता है क्योंकि इस बार राष्ट्रवाद तथा प्रांतीयतावाद के बीच भी मुकाबला है. गौरतलब रहे कि राजनीतिक दर्शन शास्त्र के अनुसार राष्ट्रवाद, प्रांतीयतावाद पर भारी पड़ता है.

उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में 13वीं विधानसभा के चुनाव के लिए राजनीतिक दलों द्वारा शुरू किया गया हंगामी प्रचार अभियान सोमवार शाम पांच बजे समाप्त हो गया है, और अब मतदाताओं की बारी है, जो बुधवार को अपने वोट डालकर अंतिम फैसला सुनाएंगे. इधर कई दशकों में पहली बार ऐसा हुआ है, जब पांच प्रमुख पार्टियां चुनाव मैदान में अलग-अलग लड़ रही हैं, जबकि इसके अतिरिक्त छोटी पार्टियां व निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में है और सभी ने मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की है.

चुनाव प्रचार सोमवार शाम पांच बजे थम गया. मतदान 15 अक्टूबर को सुबह सात से शाम छह बजे तक चलेगा और मतगणना 19 अक्टूबर को आठ बजे सुबह शुरू होगी. 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए कराए जा रहे चुनाव में 8.25 करोड़ मतदाता 4,000 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे.

इस चुनाव में जिन मुख्य पार्टियों का भविष्य दांव पर है, उनमें कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, भारतीय जनता पार्टी, शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना शामिल हैं. लेकिन समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन, और अन्य कई छोटी पार्टियां, सैंकड़ों विद्रोही, निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर चुनाव प्रचार में उतरे हैं और उन्होंने राज्य के हर कोने में करीब तीन दर्जन रैलियां की और मतदाताओं से भाजपा को वोट देने की अपील की. मोदी के अतिरिक्त शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, मनसे प्रमुख राज ठाकरे, राकांपा अध्यक्ष शरद पवार, कांग्रेस नेता व राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने भी रैलियां की. कांग्रेस की तरफ से पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी करीब दो दर्जन रैलियां की.

मोदी की रैलियों में उनके मंत्रिमंडल सहयोगी, भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और शीर्ष नेताओं ने भी साथ दिया. दूसरी तरफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी अनपेक्षित रूप से मोदी और भाजपा का समर्थन किया. पार्टी को उम्मीद है कि ये सारे समर्थन वोट में तब्दील होंगे.

महाराष्ट्र में अकेले दम पर सरकार बनाने की उम्मीद कर रही भाजपा के लिए मोदी ने प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी है.

वास्तव में ठाकरे बंधु और पवार ने खुलेआम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की आलोचना की. इन सभी ने सीमा पर चल रहे तनाव से निपटने के लिए कदम उठाने के बजाय महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार करने के लिए मोदी की जमकर आलोचना की, लेकिन भाजपा ने इन आरोपों को खारिज कर दिया.

उम्मीदवारों ने इस बार प्रचार के लिए सोशल नेटवर्किंग साइट का भी सहारा लिया. फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप, एसएमएस के जरिए मतदाताओं को रैलियों, आम सभाओं में खींचने की कोशिश की गई. राजनीतिक विश्लेषक महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों के इंतजार में हैं जिसमें मोदी लहर की परीक्षा हो रही है. यदि, महाराष्ट्र में भी मोदी लहर काम कर गई तो विपक्षियों को फिर से निराश होना पड़ेगा. चुनाव कार्यक्रम के अनुसार मोदी लहर का फैसला 15 अक्टूबर को ईव्हीएम मशीन में कैद हो जायेगा जिसके खुलने तक इंतजार करना ही पड़ेगा.

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