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छत्तीसगढ़ में 25% पीडीएस खाद्यान घटिया

रायपुर | संवाददाता : छत्तीसगढ़ के पीडीएस का 25 फीसदी खाद्यान घटिया और गुणवत्ताहीन है. पीडीएस को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार भले दुनिया भर में अपनी वाहवाही के आंकड़े पेश करे लेकिन राज्य सरकार के 2016-17 के खुद के आंकड़े भयावह कहानी पेश कर रहे हैं.

बात यहीं ख़त्म नहीं होती, छत्तीसगढ़ संभवतः देश का अकेला राज्य है, जहां घटिया और गुणवत्ताहीन पीडीएस के मामलों में किसी के भी खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. इस मामले में दूसरे राज्यों का हाल ये है कि एक भी मामला सामने आने पर खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत न केवल सिविल और आपराधिक मामले दर्ज किये गये हैं, बल्कि आरोपियों को सज़ा भी दिलाई गई है.

केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2016-17 में छत्तीसगढ़ में पीडीएस के तहत वितरित होने वाले खाद्यान के अलग-अलग अवसरों पर कुल 1693 नमूने लिये गये. साल भर के भीतर लिये गये इन 1693 नमूनों की सार्वजनिक प्रयोगशाला में जांच की गई और जांच की वार्षिक रिपोर्ट बताती है कि इनमें से 425 नमूने अपमिश्रित तथा मिसब्रांडेड पाये गये. यानी कुल जांच किये गये नमूनों में से 25.10 प्रतिशत नमूने खराब पाये गये.

लेकिन राज्य सरकार ने इनमें से किसी भी मामले में कोई कार्रवाई नहीं की. न तो किसी के खिलाफ सिविल मामला दर्ज हुआ और ना ही कोई आपराधिक प्रकर्ण दर्ज किया गया. छत्तीसगढ़ के खराब उदाहरण के आगे अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों के आंकड़े चौंकाने वाले हैं. यहां 2016-17 में पीडीएस के कुल 302 नमूने लिये गये, जिनमें अपमिश्रित और मिसब्रांडेड नमूनों की संख्या 10 थी. अरुणाचल सरकार ने एक मामले में आपराधिक मामला दर्ज किया, जबकि आठ मामलों में सिविल कानून के तहत मुक़दमा दर्ज करवाया गया. 12 लोगों के खिलाफ दंड भी वसूला गया.

भारत सरकार के आंकड़े बताते हैं कि घटिया, गुणवत्ताहीन और मिलावटी खाद्य पदार्थों के मामले में छत्तीसगढ़ पूरे देश में छठवें नंबर पर है.

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