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राजनैतिक दल दिशाहीन: निश्चलानंद

रतनपुर | उस्मान कुरैशी: पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा है कि सत्ता लोलुपता के कारण राजनैतिक दलों में दिशाहीनता है.

उन्होने कहा कि असैध्दांतिक गठबंधन और धोका देने की प्रवृति राजनैतिक दलों में केंसर का काम कर रही है. राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में शोधन की जरूरत है.

शनिवार को महामाया मंदिर परिसर में आयोजित साधना एवं राश्ट्र रक्षा शिविर में पहुंचे निश्चलानंद ने पत्रकारों से चर्चा की. उन्होने कहा कि धर्म नियंत्रित पक्षपात विहीन शोशण मुक्त शासन तंत्र की स्थापना जिसमें सुसंस्कृत सुशिक्षित सेवा परायण स्वस्थ्य व्यक्ति व समाज की संरचना अन्यो के हित का ध्यान रखते हिन्दुओं के अस्तित्व और आदर्ष की रक्षा देश की अखंडता की रक्षा का लक्ष्य है.

आध्यात्मिक उर्जा का उपयोग शिविर के माध्यम से हो रहा है. स्थानीय लोगों की कम सहभागिता पर निश्चलानंद ने कहा कि मंदिर पहले शिक्षा रक्षा संस्कृति सेवा धर्म मोक्ष के संस्थान माने जाते थे. आज मंदिर गिने चुने व्यक्तियों के आस्था और मनौती मानने के केन्द्र रह गए है. देवी देवताओं के नाम पर छद्म आध्यात्म और मनौती परी करना अपनी सफलता मानते है.

देश की मौजूदा राजनैतिक हालात पर निश्चलानंद ने कहा कि सत्ता लोलुपता राजनीति का पर्याय बन चुकी है. इस बात से कोई भी ख्याति प्राप्त राजनैतिक दल मुक्त नही है. असैध्दांतिक गठबंधन और धोखा देने की प्रवृति राजनैतिक दलों में केंसर का काम कर रही है. राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में शोधन की जरूरत है. इनमें से एक भी दल अपना परिशोधन करना चाहती तो इनके अनुवांगिक क्षेत्रीय दल अपना शोधन करने को बाध्य होंगी.

उन्होने कहा कि जनता चेतना विहीन है. विकल्प भी दुर्बल होता है. हम विकल्प नही ढ़ूंढ रहे हम संकल्प को सुदृढ़ बनाना चाहते है. हम देश की दिशा हीनता को दूर करने के लिए कटिबद्व है. ज्ञान विज्ञान और आधृनिक शिक्षा पर निश्चलानंद ने कहा कि ज्ञान विज्ञान और आधृनिक शिक्षा में नीति और अध्यात्म का कोई स्थान नही है. भौतिक व्यवस्था में पषु पक्षियों और वृक्षों का जीवन भी संकट में है. मनुश्यता के लिए भी अभिशाप बनता जा रहा है.

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