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सेनेटरी नैपकिन के लिये छत्तीसगढ़ को बजट नहीं

रायपुर | संवाददाता: सेनेटरी नैपकिन के लिये छत्तीसगढ़ को पिछले दो सालों से केंद्र ने पैसा देना बंद कर दिया है. यह तब है, जब छत्तीसगढ़ में 60 प्रतिशत महिलायें सेनेटरी पैड का उपयोग नहीं कर पाती हैं.

मासिक धर्म स्वच्छता योजना के तहत सैनेटरी नैपकिन की खरीदी के लिये छत्तीसगढ़ को अंतिम बार 2015-16 में 339.62 लाख रुपये केंद्र सरकार ने दिये थे. पूरे देश में उस समय 3079.27 करोड़ रुपये आवंटित किये गये थे. लेकिन उसके बाद छत्तीसगढ़ को इस मद में चवन्नी नहीं दी गई.

नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में सेनेटरी नैपकिन का उपयोग करने में महिलायें काफी पीछे हैं. देश में नंबर वन कहलाने वाले छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में केवल 39.4 प्रतिशत महिलायें ही सेनेटरी नैपकिन का उपयोग करती हैं. ऐसे में राज्य की बड़ी आबादी तरह-तरह की संक्रामक बीमारियों से जूझती रहती है.

आंकड़े बताते हैं कि राज्य के शहरी इलाकों में भी 72.7 फीसदी महिलायें ही सेनेटरी नैपकिन का उपयोग करती हैं. यानी शहरी आबादी की 28 फीसदी महिलायें भी संकोच और जागरुकता के कारण सेनेटरी नैपकिन के उपयोग से वंचित हैं.

लेकिन इन आंकड़ों के बाद भी केंद्र ने पिछले तीन सालों से पैसे नहीं दिये हैं. 2016-17 में केंद्र ने देश के 17 राज्यों को सेनेटरी पैड खरीदने के लिये 3703.9 लाख रुपये आवंटित किये गये. इसी तरह 2017-18 में तो इस मद में बजट भी बढ़ा दिया गया और कुल 16 राज्यों को 4471.22 लाख रुपये दिये गये. लेकिन छत्तीसगढ़ को इस साल भी फूटी कौड़ी नहीं दी गई. जाहिर है, सेनेटरी नैपकिन की कमी महिलाओं के स्वास्थ्य को संकट में डालने वाला साबित हो रहा है.

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