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वेदांता की मौत की चिमनी के 4 साल

कोरबा | अब्दुल असलम: वेदांता के बालको चिमनी हादसे के 4 साल बाद भी पीड़ितों को न्याय नहीं मिल सका है. छत्तीसगढ़ के कोरबा में चार साल पहले जब हादसा हुआ था और 40 मज़दूर मारे गये थे तो माना जा रहा था कि राज्य और केंद्र सरकार जल्दी कार्रवाई करेंगी. लेकिन कभी इस लंदन की विदेशी कंपनी वेदांता के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में रहे तब के गृहमंत्री पी चिदंबरम के रायपुर दौरे में आने के बाद कहा जाने लगा था कि वेदांता के खिलाफ कार्रवाई होने से रही.

उसके बाद जब यह बात सामने आई कि इस चिमनी को बनाने वाली ठेका कंपनी जीडीसीएल के मालिक भाजपा सांसद कमल मुरारका हैं तो जनता की रही-सही उम्मीद भी जाती रही. हालांकि न्यायिक जांच से लोगों को उम्मीद थी लेकिन साल भर बाद भी सरकारी फाइलों में जांच आयोग की रिपोर्ट कहीं दबी पड़ी हुई है.

इस हादसे की जांच के लिये बनी बख्शी आयोग की जांच रिपोर्ट में चिमनी गिरने के कारणों सहित बालको प्रबंधन द्वारा बरती गई लापरवाही का जिक्र करते हुए आयोग ने कार्रवाई की अनुशंसा की थी. साथ ही निर्माण कार्य में बरती जाने वाली सावधानी का भी जिक्र रिपोर्ट में किया गया है. सरकार का तर्क है कि रिपोर्ट में की गई अनुशंसा के आधार पर ही सरकार आगे कि कार्रवाई तय करेगी. लेकिन क्या वाकई सरकार कार्रवाई कर रही है ? बालको चिमनी हादसे के आज चार वर्ष पूरे हो चले हैं पर मामले के गुनहगार खुली हवा में सांसें ले रहे हैं और पीड़ित परिवार रोज़ न्याय की उम्मीद में तिल-तिल मर रहा है.

साल 2009 का वो काला दिन शायद ही किसी के जेहन से भुलाया जा सकेगा. बालको चिमनी हादसे की उस शाम 40 जिदंगिया मौत के मुंह में समा गई थी. 1200 मेगावाट पावर प्लांट के लिये बनायी जा रही दो चिमनियों में से एक का काम तो पहले ही पूरा कर लिया गया था लेकिन दूसरे का काम जारी था. रोज की तरह ही चिमनी के अलग-अलग हिस्सों में सैकड़ों मजदूर काम कर रहे थे. 23सितंबर 2009 की शाम घड़ी का कांटा तीन बजकर पचास मिनट के पास पहुंचा था, उसी समय वेदांता-स्टरलाइट के बालको की 248 मीटर ऊंची चिमनी जमींदोज हो गई.

घटना के बाद शुरू हुआ बचाव कार्य लगभग दस दिनों तक चला. इस दौरान चिमनी के मलबे से शरीर के अलग अलग भाग निकालते रहे. मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने घटना स्थल का निरिक्षण किया बाद में न्यायिक जांच का आदेश जारी कर दिये. जस्टिस संदीप बख्शी आयोग का गठन भी कर दिया गया और 2फरवरी 2010 को कोरबा कलेक्टोरेट में आयोग ने अपनी पहली सुनवाई शुरू की. सुनवाई शुरू हुई तो फिर तारीखों का दौर चलता रहा. तीन माह के लिये गठित आयोग ने अपनी सुनवाई 35 माह में पूरी की. इस दौरान आयोग का कार्यकाल लगभग 10 बार बढ़ाया गया.

6 बिन्दुओं पर की गई आयोग की सुनवाई में श्रमिक नेता,तत्कालीन कलेक्टर अशोक अग्रवाल,तत्कालीन सहायक श्रम आयुक्त सत्य प्रकाश वर्मा, सेपको के प्रोजेक्ट मैनेजर वू छूनान, ठेका कंपनी जीडीसीएल के प्रोजेक्ट मैनेजर मनोज शर्मा, तत्कालीन उप संचालक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा रज्जू भोई, बालको के प्रोजेक्ट इंचार्ज जे के मुखर्जी, तत्कालीन एस डी एम रामजी साहू और बालको के सी ई ओ गुंजन गुप्ता बयान दर्ज कराने आयोग के समक्ष उपस्थित हुए.

इधर आयोग का कार्य जारी था, वहीं पुलिस भी अपने तरीके से मामले की तहकीकात कर रही थी. बालको पुलिस ने इस पूरे मामले में 17 लोगों के खिलाफ अपराध दर्ज किया था और 12 लोगों की गिरफ्तारी पुलिस ने की थी. इसके अलावा साक्ष्य से छेड़छाड़ करने के आरोप में ज्वाईंट डायरेक्टर डॉ.एम एम अंसारी, महानिदेशक आर के गोस्वामी, समूह प्रबंधक यू के मंडल की भी गिरफ्तारी बालको पुलिस ने की थी.

इस मामले में श्रमिक नेता राजेन्द्र मिश्रा बालको की पूरी सुनवाई में मौजूद रह कर श्रमिक संघ की तरफ से अपना बयान भी दर्ज कराया. लेकिन मामले के चार साल बाद भी पीड़ित को न्याय नहीं मिल पाने से श्रमिक नेता भी हताश नज़र आ रहे है.

यहां यह उल्लेखनीय है कि आयोग की जांच रिपोर्ट सामने आने के पहले ही बालको ने नई चिमनी का अवैध रूप से निर्माण कर लिया है. बालको ने जांच रिपोर्ट का इंतजार करने की बजाय आनन फानन में ध्वस्त चिमनी के स्थान पर अवैध रूप से चिमनी का निर्माण कर लिया है. चिमनी निर्माण के लिए नगर पालिक निगम,टाउन एंड कंट्री प्लांनिंग और वन विभाग से एनओसी नही ली गई है. निगम ने अवैध निर्माण के विरोध में बालको थाने में शिकायत दर्ज कराई है लेकिन बालको के खिलाफ बोलने वाला कोई नहीं है.

दिखावे के तौर पर मारे गये 40 लोगो में से बालको ने मृतक भोला सिंह की पत्नी को ठेका मजदूर के तौर पर काम पर रख लिया है लेकिन ठेका मजदूरी से मिलने वाली राशि भोला के परिवार के लिये अपर्याप्त ही साबित हो रही है.

एडीजे कोर्ट ने इसी साल शैनदोंग इलेक्ट्रिक पावर कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन में कार्यरत प्रोजेक्ट मैनेजर वू छूनान, इंजीनियर ल्यू जॉक्शन और वांग क्यूंग समेत 13 लोगों के खिलाफ आरोप तय किया था और इन्हें गैर इरादतन हत्या का अभियुक्त बनाया है. दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने वेदांता-स्टरलाइट के बाल्को चिमनी हादसे में 40 मजदूरों की मौत के मामले में आरोप का सामना कर रहे चीनी अधिकारियों को अपने देश जाने की इजाजत दे दी है. कानून की सुस्त चाल और सरकार की वेदांता बालको के खिलाफ अपनाई जा रही दोहरी नीति ने पीड़ित परिवारों का व्यवस्था से भरोसा उठा दिया है, जिसकी परवाह कम से कम सरकारों को तो नहीं ही है.

एक नजर चिमनी हादसे में मारे गये मजदूरों पर

प्रदेश………………जिला………………मृतक
बिहार………………छपरा ………………11
बिहार………………सिवान………………07
झारखंड………………सिमडेगा………………11
झारखंड………………गढ़वा………………03
मध्यप्रदेश………………उमरिया………………07
छत्तीसगढ़………………कोरबा………………02

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