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अचानकमार के विस्थापित होने वाले गांव में बन रहे सरकारी मकान

मुंगेली | संवाददाता: अचानकमार अभयारण्य के गांवों में सरकार ने आदिवासियों के लिये मकान बनाना शुरु कर दिया है. ये वो गांव हैं, जिन्हें सरकार जल्दी ही अभयारण्य से हटाने वाली है. विस्थापित होने वाले गांवों में बड़ी संख्या में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बनाये जाने को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं.

गौरतलब है कि अचानकमार बाघ परियोजना में बसे 25 में से 6 गांवों को सरकार ने 2009 में विस्थापित किया था. जल्दा, कूबा, सांभर धसान, बोकरा कछार, बांकल और बहाउड़ गांव के विस्थापन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ था और आदिवासियों को प्रताड़ित कर के बिना विकल्प के, बिना पुनर्वास के खदेड़ दिया गया था. अब सरकार ने एक बार फिर 19 गांवों को विस्थापित करने का निर्णय लिया है.

इन 19 गांवों को विस्थापित करने के लिये सरकार योजनायें बना रही है. इसके लिये एनटीसीए को कार्ययोजना भेजने का काम चल रहा है. लेकिन इसके उलट इन सभी गांवों में सरकार ने गांव के गरीब लोगों के लिये प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बना रही है. वन विभाग के अफसरों का कहना है कि उन्हें यह जानकारी नहीं है कि प्रतिबंध के बाद इन मकानों को पंचायत विभाग क्यों बनवा रहा है. दिलचस्प ये है कि मकान बनवाने के नाम पर कई गांवों में आदिवासियों से रिश्वत भी लिये गये हैं.

ये गांव अभयारण्य के भीतरी हिस्से में बसे हुये हैं. अचानकमार टाईगर रिजर्व एरिया के अंतर्गत 625.195 वर्ग किलोमीटर कोर जोन, 287.822 वर्ग किलोमीटर बफर जोन सहित कुल एरिया 914.017 वर्ग किलोमीटर है. कोर एरिया का 551.552 वर्ग किलोमीटर एरिया अचानकमार वन्यप्रणी अभ्यारण्य में आता है और 74.643 नाम प्रोटेक्टेड एरिया है.

राज्य सरकार ने 2022 तक 11 लाख गरीब और आवास विहीन परिवारों को पक्का मकान बना कर देने का निर्णय लिया है. ऐसे में लक्ष्य पूरा करने के लिये नियम कानून किनारे कर दिये गये हैं और अभयारण्य के भीतर आवास बनाये जा रहे हैं. हमने इस संबंध में ज़िला पंचायत के अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनका पक्ष हमें प्राप्त नहीं हो सका.

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