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अडानी और राजस्थान को छत्तीसगढ़ में झटका

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के परसा में अडानी और राजस्थान सरकार के कोल ब्लॉक को झटका लगा है. केन्द्रीय वन पर्यावरण एवं क्लाइमेट चेंज मंत्रालय की ईएसी यानी विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति ने कोल ब्लॉक को मंजूरी नहीं दी है.

उदयपुर ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम साल्ही, हरिहरपुर, और फतेहपुर में 5 मिलियन टन वार्षिक उत्पादन क्षमता का प्रस्तवित परसा कोल ब्लॉक राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को आवंटित है. इस कोल ब्लॉक के खनन का ठेका एमडीओ के रूप में अडानी के पास है.

पिछले महीने विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति की बैठक में पर्यावरण स्वीकृति देने से रोक लगाते हुये राज्य सरकार और खनन कंपनी से स्पष्टीकरण मांगा है.

विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति ने खनन कंपनी और राज्य सरकार राज्य आदिवासी कल्याण विभाग से ग्राम सभा सहमति और इस परियोजना से आदिवासियों की आजीविका पर प्रभाव और पेसा कानून के प्रावधानों पर राय मांगी है. जल संसाधन/सिंचाई विभाग से नदी नालों के डायवर्सन, मौजूदा एवं प्रस्तावित खदानों से हसदेव नदी पर होने वाले प्रभावों का संचयी आकलन करने को कहा गया है.

इसके साथ-साथ राज्य वन्य प्राणी बोर्ड से मौजूदा एवं प्रस्तावित खदानों के चलने से हाथियों तथा अन्य वन जीवों के विचरण पर होने वाले प्रभाव के सम्बन्ध में राय मांगी है. गौरतलब है कि यह इलाका छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा पूर्व में हाथी रिजर्व के लिये अधिसूचित लेमरू के घने जंगलों वाला भू-भाग है.

गौरतलब है कि इस इलाके में राजस्थान सरकार और अडानी के कोल ब्लॉक पहले से हैं, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी नियम विरुद्ध काम करने को लेकर रोक लगा दी थी. बाद में कोल ब्लाॉक विवाद के बाद रद्द किये जाने के कारण भी अडानी मुश्किल में आया था. कोल ब्लाक की पर्यावरणीय स्वीकृति बासन और ग्राम तारा में पर्यावरणीय लोकसुनवाई आयोजित की गई थी, जिसमें बड़ी संख्या में विरोध किया गया था. कोल ब्लॉक को लेकर भ्रामक जानकारी देने का आरोप लगाता हुये हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति ने भी खनन परियोजना को स्वीकृति नहीं देने की मांग की थी.

हसदेव वन क्षेत्र को बचाने और ग्रामीणों के आन्दोलन में सतत भागीदारी निभाने वाले छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने ईएसी के फेसले का स्वागत करते हुए कहा कि अब इस खनन परियोजना की स्वीकृति राज्य सरकार की अनुसंशा पर निर्भर करेगी.

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को इस क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों की आजीविका व उनके अस्तित्व, हसदेव अरण्य क्षेत्र उसमें रहने वाले वन्य प्राणी तथा हसदेव नदी के संरक्षण हेतु इस खनन परियोजना को अनुमति प्रदान नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह सही समय है, जब राज्य सरकार अदानी के प्रति नहीं बल्कि पर्यावरण और राज्य की जनता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाए.

इलाके के जनपद सदस्य बालस्य कोरम ने कहा परसा ईस्ट केते बासन परियोजना खुलने से पूरा पर्यावरण बिगड़ रहा हैं. जंगल के विनाश से हाथी लोगो को घरों में आकर मार रहे हैं, अब इस नई खदान को भी खोला गया तो सिर्फ तीन गाँव नही उजड़ेंगे बल्कि इस इलाके का विनाश होगा.

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