स्वास्थ्य

एनीमिया से बढ़ता है डिमेंशिया का खतरा

वॉशिंगटन | एजेंसी: एक अध्ययन से पता चला है कि एनीमिया यानी कि रक्त में लाल रक्त कणिकाओं की कमी से बुजुर्गो में डिमेंशिया का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है. डिमेंशिया का मतलब उस अवस्था से है, जब किसी की विचार करने की क्षमता में कमी आ जाती है, मस्तिष्क पूरी क्षमता से काम नहीं कर सकता है या कई बातें याद नहीं रहती हैं.

सैन फ्रांसिस्को के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के अध्ययनकर्ता लेखक क्रिस्टीन येफ ने कहा, “एनीमिया आम तौर पर बूढ़ों में पाया जाता है और 65 वर्ष या इससे अधिक उम्र के लोगों में यह 23 फीसदी तक देखा गया है. साथ ही अध्ययन में एनीमिया का संबंध समय से पहले मौत से भी पाया गया”

शोधार्थियों न 11 साल तक 70 से 79 वर्ष के 2,552 बुजुर्गो पर अध्ययन किया. इस अध्ययन के शुरू में उनमें से 393 लोगों को एनीमिया था और अध्ययन के समाप्त होते होते 445 या करीब 18 फीसदी में एनीमिया हो गया.

अमेरिकी शोध पत्रिका न्यूरोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों में अध्ययन के शुरू में एनीमिया था, उनमें सामान्य लोगों की अपेक्षा डिमेंशिया होने की संभावना 41 फीसदी अधिक थी.

येफ ने कहा, “एनीमिया का संबंध डिमेंशिया से क्यों है, इसकी कई प्रकार से व्याख्या की जा सकती है.”

उन्होंने कहा, “उदाहरण के तौर पर एनीमिया से खराब स्वास्थ्य का पता चलता है. या एनीमिया के कारण ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है, जिससे यह समस्या पैदा हो सकती है. अन्य अध्ययनों से पता चला है कि मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी से याददाश्त क्षमता और चिंतन क्षमता में कमी हो जाती है और न्यूरॉन क्षतिग्रस्त हो जाते हैं.”

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