कृषि

खेती में एंटीबायोटिक खतरनाक

न्यूयॉर्क | एजेंसी: खेती में एंटीबायोटिक दवाओं का अधिक प्रयोग सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर रहा है. न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन के ताजा संस्करण में प्रकशित पेपर में कहा गया कि उदाहरण के लिए अमेरिका में खाद्य उत्पादन बढ़ाने के लिए कृषि और जलीय कृषि में 80 प्रतिशत एंटीबायोटिक दवाओं को प्रयोग किया जाता है.

उद्योगों द्वारा जारी इन इंटीबायोटिक दवाओं को या तो पौधों पर छिड़का जाता है या मुर्गियों और सेल्मन को खिलाया जाता है. यूनिवर्सिटी ऑफ केलगैरी के एडन होलिस लिखते हैं कि ये एंटीबायोटिक्स बैक्टीरिया विकसित करते हैं.

होलिस और सह लेखक जियान अहमद का कहना है कि ऐसे एंटीबायोटिक्स के प्रयोग के कारण ऐसे बैक्टीरिया बढ़ रहा है जो उपलब्ध उपचारों को प्रभावशून्य कर देता है.

होलिस ने कहा कि अगर समस्या की जांच नहीं की गई तो यह वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य संकट खड़ा कर देगी.

होलिस कहते हैं, “आधुनिक चिकित्सा जीवाणु संक्रमण खत्म करने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं पर निर्भर है. प्रभावी एंटीबायोटिक्स के बिना कोई भी सर्जरी यहां तक कि छोटी चीज भी बहुत खतरे वाली हो जाएगी.”

होलिस ने कहा कि यह बैक्टीरिया एंटीबायोटिक दवाओं को प्रभावी रूप से विरोध कर सकता है और यह तेजी से फैल रहा है.

उन्होंने कहा, “हम जो खा रहे हैं वह सिर्फ खाना नहीं है. बैक्टीरिया वातावरण में फैल रहा है. अगर आप प्रतिरोधी बैक्टीरिया के संक्रमण में आ गए तो एंटीबायोटिक दवाएं कोई मदद नहीं कर पाएंगी.”

उन्होंने कृषि और जल कृषि में एंटीबायोटिक्स का कम प्रयोग करने की सलाह दी.

होलिस, एंटीबायोटिक दवाओं के गैर मानवीय उपयोग पर शुल्क लगाने का सुझाव देते हैं. उनका मानना है कि यह किसानों को पशु प्रबंधन तरीकों में सुधार और दवाओं के बेहतर विकल्प अपनाने को प्रोत्साहित करेगा.

उन्होंने इसे अंतर्राष्ट्रीय समस्या बताया.

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