ताज़ा खबर

अचानकमार टाइगर रिजर्व बना शिकारगाह

बिलासपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ का अचानकमार टाइगर रिजर्व शिकारगाह बन गया है.वन विभाग के शीर्ष अधिकारी ही इन शिकारियों की मदद कर रहे हैं.

हालत ये है कि अचानकमार में एक के बाद एक होने वाली शिकार की घटनाओं को न केवल छुपाया जा रहा है, बल्कि उसके सबूत नष्ट करने के लिए कहीं जंगल जलाये जा रहे हैं तो कहीं शिकार की खबरों का बेशर्मी से खंडन किया जा रहा है.

पिछले सप्ताह अचानकमार में करंट से एक बायसन की मौत हो गई. अचानकमार के डॉग स्कवाड को बुलाया गया. मौके से तार वगैरह भी बरामद हुये. लेकिन बायसन की मौत को सामान्य मौत बता कर मामले को रफा दफा कर दिया गया.

बाद में घटनास्थल के पास ही एक भालू की करंट से मौत हो गई. वन विभाग के अधिकारियों को रात को खबर मिली और रात में वन विभाग के अधिकारी जंगल में भटकते रहे. जिस ग्रामीण ने भालू की मौत की ख़बर दी थी, उसे देर रात उठा कर जंगल में ले जाया गया और मृत भालू की तलाश की गई. जब अंधेरे में कुछ समझ में नहीं आया तो पूरे इलाके में वन विभाग के अधिकारियों ने ही आग लगा दिया.

इस मामले में भी डॉग स्कवाड ने मौके से भालू के सारे अवशेष बरामद किये और इसके बाद वन विभाग के अधिकारियों के निर्देश पर भालू के अवशेष को जला दिया गया.

भालू की मौत की खबर जब मीडिया में आई तो अचानकमार टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर ने पूरे अपराध पर पर्दा डाल दिया और उलटे खबर का खंडन जारी कर दिया.

इस घटना के तीसरे ही दिन बेखौफ शिकारियों ने तीन चीतल को बंदूक से और एक चीतल को करंट लगा कर मार डाला. शिकार की खबर जब गांव वालों ने फिर से दी तब कहीं जा कर कुछ शिकारियों को पकड़ा गया.

पकड़े गये शिकारियों ने स्वीकार किया कि उन्होंने ही बायसन और भालू को करंट लगा कर मारा था. अब वन विभाग के अधिकारी फिर से आरोपियों के बयान को बदलने में जुटे हुये हैं.

राजनेताओं से डरे हुए अधिकारी

अचानकमार में पिछले साल शिकारियों के एक दल को पकड़ने के लिए गये रेंजर संदीप सिंह समेत दूसरे वनकर्मियों को गांव वालों ने बंधक बना लिया था. इसके अलावा इन सबके साथ मारपीट भी की गई थी.

इस मामले में गांव वालों के ख़िलाफ कार्रवाई करने के बजाय इलाके के विधायक धर्मजीत सिंह के दबाव में उलटे रेंजर को ही निलंबित कर दिया गया.

विधानसभा के भीतर ही राज्य के वन मंत्री ने रेंजर संदीप सिंह को निलंबित करने की घोषणा की. लेकिन इस घटना के कारण देश भर में छत्तीसगढ़ की बदनामी हुई. देश के जाने-माने वन्यजीव विशेषज्ञ और वन अधिकारियों ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को एक चिट्ठी लिखी.

इसके बाद देश भर में हो रही थू-थू के कारण वन मंत्री ने रेंजर संदीप सिंह को सप्ताह भर के भीतर ही बहाल कर दिया. लेकिन इस घटना ने कर्मचारियों का मनोबल ऐसा तोड़ा कि शिकार की घटनाओं को लेकर कर्मचारियों ने आंख मूंद दी.

हालत ये हो गई कि अगर कहीं किसी बड़े जानवर द्वारा शिकार की खबर आई तो भी वहां कैमरा ट्रैप लगाने की जरुरत नहीं महसूस की गई.

कर्मचारियों का कहना है कि अचानकमार में राजनेताओं का हस्तक्षेप इस कदर है कि कोई भी कर्मचारी-अधिकारी शिकारियों पर हाथ डालने से डरता है. शीर्ष अधिकारी भी इन कर्मचारियों का साथ नहीं देते. जाहिर है, राज्य सरकार ने अचानकमार को लेकर कोई विशेष कार्य योजना नहीं बनाई तो शिकारगाह में तब्दील हो चुके अचानकमार को बचाना मुश्किल होगा.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!