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बाबरी मस्ज़िद विध्वंस में सभी आरोपी बरी

नई दिल्ली | संवाददाता : बुधवार, 30 सितंबर को बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने अपना फ़ैसला सुनाते हुए सभी 32 अभियुक्तों को बरी कर दिया है.

अदालत ने कहा कि इस मामले में कोई ठोस सबूत नहीं है. न्यायाधीश ने साथ ही कहा कि ये विध्वंस सुनियोजित नहीं था.

इस मामले में बीजेपी के मार्गदर्शक मंडल के प्रमुख नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती समेत कुल 32 लोगों को अभियुक्त बनाया गया था.

बाबरी मस्जिद विध्वंस कांड में कुल 49 लोगों को अभियुक्त बनाया गया था जिसमें से केवल 32 फ़ैसले के दिन तक जीवित हैं. ये हैं- लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास, डा. राम विलास वेदांती, चंपत राय, महंत धर्मदास, सतीश प्रधान, पवन कुमार पांडेय, लल्लू सिंह, प्रकाश शर्मा, विजय बहादुर सिंह, संतोष दुबे, गांधी यादव, रामजी गुप्ता, ब्रज भूषण शरण सिंह, कमलेश त्रिपाठी, रामचंद्र खत्री, जय भगवान गोयल, ओम प्रकाश पांडेय, अमर नाथ गोयल, जयभान सिंह पवैया, महाराज स्वामी साक्षी, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, धर्मेंद्र सिंह गुर्जर, आचार्य धमेंद्र देव, सुधीर कुमार कक्कड़ और आरएन श्रीवास्तव.

जिन सत्रह अभियुक्तों की मौत हो चुकी है उनमें अशोक सिंघल, बाला साहेब ठाकरे, विजय राजे सिंधिया, गिरिराज किशोर, विष्णुहरि डालमिया, महंत अवैद्यनाथ, परमहंस दास चंद्रदास, मोरेश्वर सावे, लक्ष्मीनारायण दास, विनोद कुमार वत्स, राम नारायण दास, डीबी दास, रमेश प्रताप सिंह, हरगोविंद सिंह, बैकुंठ लाल शर्मा, महामंडलेश्वर जगदीश मुनि महाराज और डॉ. सतीश नागर शामिल हैं.

अपनी सेवानिवृत्ति से दो दिन पहले विशेष सीबीआई जज एसके यादव ने अपने 2300 पन्नों के जजमेंट में कहा, “बाबरी मस्जिद को ढहाया जाना सुनियोजित नहीं था, ये अचानक हुआ और इसमें किसी भी अभियुक्त का हाथ नहीं था. इसलिए सभी अभियुक्तों को बरी किया जाता है.”

जज ने अपने फ़ैसले में कहा कि “किसी अभियुक्त के ख़िलाफ़ कोई ठोस सबूत नहीं मिला.”

2300 पन्नों के जजमेंट में किसी मीडिया या अख़बार या वीडियो कैसेट को सबूत के तौर पर स्वीकार नहीं किया गया है और ना इसपर विचार किया गया है. लखनऊ के ट्रायल कोर्ट ने ये भी कहा कि 6 दिसंबर, 1992 के दुर्भाग्यपूर्ण दिन आडवाणी और जोशी समेत वरिष्ठ नेताओं ने भीड़ को रोकने की कोशिश की थी.
कोर्ट ने ये भी कहा कि विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंघल (जो अब जीवित नहीं है) वो ढांचे को बचाना चाहते थे, क्योंकि अंदर राम की मूर्तियां थी.

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