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नंदिनी सुंदर से हत्या का आरोप हटा

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ पुलिस ने दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर नंदिनी सुंदर और जेएनयू की अर्चना प्रसाद के खिलाफ दर्ज़ हत्या के मामले में चालान से उनका नाम हटा दिया है. पुलिस ने अपनी जांच के बाद उनके ख़िलाफ कोई सबूत नहीं पाया है.

गौरतलब है कि 4 नवंबर 2016 को सुकमा ज़िले के तोंगपाल थाना के सौतनार नामापारा गांव के सामनाथ बघेल नामक आदिवासी की संदिग्ध माओवादियों ने हत्या कर दी थी. इसके बाद इस मामले में थाना तोंगपाल में धारा 147, 148, 149, 302, 450, 120 (बी), 25,27 आर्म्स एक्ट, 23, 38 (2), 39 (2) UAPA के तहत रिपोर्ट दर्ज की गई थी.

लेकिन सामनाथ बघेल की पत्नी विमला बघेल द्वारा अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज की गई इस रिपोर्ट में पुलिस ने 15 माओवादियों के अलावा शिक्षाविद, राजनीतिज्ञ और समाजसेवियों को भी लपेट दिया था. विमला बघेल ने कैमरे पर साफ-साफ इस बात से इंकार किया था कि उन्होंने किसी के ख़िलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज करवाई है.

इस मामले में बस्तर के तत्कालीन आईजी शिवराम प्रसाद कल्लूरी ने नंदिनी सुंदर, अर्चना प्रसाद, विनीत तिवारी और संजय पराते के खिलाफ सीआईडी जांच की अनुशंसा की थी. बाद में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद इस मामले में इन सभी की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी गई थी. देश भर में बस्तर पुलिस की इस कार्रवाई को बदले की कार्रवाई के तौर पर देखा गया था और बस्तर के आईजी शिवराम प्रसाद कल्लूरी को इस मामले में निलंबित करने की भी मांग उठी थी. मामले में राज्य सरकार की देश भर में किरकिरी हुई थी.

माना जाता है कि बस्तर में सलवा जुड़ूम समेत हत्या, आदिवासी महिलाओं के साथ बलात्कार और मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामलों को इन लोगों ने उजागर किया था. इसलिये अपने पद और कानून का दुरुपयोग करते हुये इनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.

बस्तर के तत्कालीन आईजी शिवराम प्रसाद कल्लूरी इस मामले में लगातार सार्वजनिक तौर पर नंदिनी सुंदर, अर्चना प्रसाद, इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज के विनीत तिवारी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव संजय पराते, मंजू कवासी और मंगला राम कर्मा के खिलाफ हत्या के पुख्ता सबूत होने का दावा करते रहे थे.

अब सुकमा के पुलिस उपाधीक्षक राज कुमार मिंज, पुलिस उपाधीक्षक प्रतीक चतुर्वेदी और निरीक्षक प्रकाश राठौर ने इस मामले में अनुसंधान के बाद पाया कि इन सभी शिक्षाविद, राजनीतिज्ञ और समाजसेवियों के खिलाफ इस मामले में कोई प्रमाण नहीं है.

पुलिस ने पिछले सप्ताह अदालत में प्रस्तुत अंतिम चालान में कहा है कि नंदिनी सुंदर, अर्चना प्रसाद, विनीत तिवारी, संजय पराते, मंजू कवासी, मंगल राम कर्मा के विरुद्ध निश्चायक सबूत न मिलने तथा 120 (बी) भारतीय दंड विधान के तहत नक्सलियों तथा उक्त आरोपियों के मध्य शामनाथ बघेल की मृत्यु कराने के संबंधित करार न पाये जाने से विधिक राय के पश्चात पुलिस अधीक्षक महोदय की अनुमति पश्चात उक्त आरोपियों का नाम प्रकरण से हटाया गया.

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