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अलविदा बीबीसी नमस्कार भारत

नई दिल्ली | डेस्क: बीबीसी हिंदी रेडियो ने अपनी सुबह की सभा नमस्कार भारत का प्रसारण बंद कर दिया है. शुक्रवार को इस सभा का अंतिम प्रसारण किया गया. पिछले 79 सालों से भारत में बीबीसी हिंदी रेडियो का प्रसारण होता रहा है.

शाम साढ़े सात बजे प्रसारित होने वाले कार्यक्रम दिन भर का अंतिम प्रसारण शुक्रवार 31 जनवरी को होगा. इस तरह भारत में शार्ट वेब पर बीबीसी हिंदी रेडियो का प्रसारण हमेशा-हमेशा के लिये बंद हो जायेगा. एक स्वतंत्र सर्वेक्षण कंपनी के अनुसार अकेले भारत में बीबीसी रेडियो के सवा करोड़ श्रोता थे.

इससे पहले 12 दिसंबर 2016 से बीबीसी ने सुबह आठ से साढ़े आठ तक प्रसारित होने वाला विश्व भारती और शाम को साढ़े नौ से दस बजे तक प्रसारित होने वाला घटनाचक्र कार्यक्रम बंद किया था.

भारत जैसे देश में, जहां इंटरनेट सुविधाओं पर अब संकट के बादल छा रहे हैं, तब बीबीसी रेडियो के प्रसारण बंद होने को लेकर श्रोताओं में निराशा है.

हिंदी में बीबीसी रेडियो की शुरुआत 11 मई 1940 को हुई, जब दूसरे विश्वयुद्ध में लड़ने वाले हिंदुस्तानी जवानों के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया गया था, जिसके ज़रिए वो अपने घरवालों के लिये संदेश प्रसारित करते थे.

बीबीसी का कहना है कि पिछले साल भारत में बीबीसी वर्ल्ड सर्विस की पहुँच 30 मिलियन से बढ़कर 50 मिलियन हो गई. इस दौरान बीबीसी के श्रोता बड़ी संख्या में शॉर्टवेव रेडियो से डिजिटल और टीवी की ओर चले गए.

बीबीसी प्रबंधन के अनुसार रेडियो श्रोताओं की लगातार गिरती संख्या को देखते हुए बीबीसी ने हिंदी में शॉर्टवेव रेडियो प्रसारण समाप्त करने का फ़ैसला किया है.

हालांकि 2011 में ही बीबीसी ने आर्थिक मुश्किलों का हवाला देते हुये कहा था कि बीबीसी को आर्थिक कठिनाइयों की वजह से शॉर्ट वेव प्रसारण को बंद करने का निर्णय करना पड़ रहा है क्योंकि बीबीसी वर्ल्ड सर्विस को अपने कुल बजट में 16 प्रतिशत की कटौती करनी पड़ रही है. तब ब्रितानी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ़ कॉमन्स में इस पर भारी बहस हुई थी. बीबीसी के भीतर भी इस फ़ैसले को लेकर काफी विरोध हुआ था. इसके बाद बीबीसी प्रबंधन ने इस फ़ैसले को वापस ले लिया था.

लेकिन इस बार शार्ट वेब पर हिंदी रेडियो सेवा बंद करने को लेकर सब तरफ़ चुप्पी छाई रही.

बीबीसी हिंदी का इतिहास

बीबीसी पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार बीबीसी लंदन से हिंदी में प्रसारण पहली बार 11 मई 1940 को हुआ था. इसी दिन विंस्टन चर्चिल ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने थे.

बीबीसी हिन्दुस्तानी सर्विस के नाम से शुरु किए गए प्रसारण का उद्देश्य द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप के ब्रितानी सैनिकों तक समाचार पहुँचाना था.

भारत की आज़ादी और विभाजन के बाद हिन्दुस्तानी सर्विस का भी विभाजन हो गया और 1949 में जनवरी महीने में इंडियन सेक्शन की शुरुआत हुई.

इस सेवा की शुरुआत भारत के जाने-माने प्रसारक ज़ुल्फ़िक़ार बुख़ारी ने की थी, बाद में बलराज साहनी और जॉर्ज ऑरवेल जैसे शानदार प्रसारक हिन्दुस्तानी सेवा से जुड़े.

पुरुषोत्तम लाल पाहवा, आले हसन, हरीशचंद्र खन्ना और रत्नाकर भारतीय जैसे शीर्ष प्रसारकों ने मोर्चा संभाला और हिंदी सेवा ने झंडे गाड़ दिए.

1950 के दशक में बीबीसी हिंदी सेवा में इंदर कुमार गुजराल ने भी पत्रकारिता और प्रसारण कौशल के क्षेत्र में अपने हाथ आज़माए, तब वे एक शर्मीले व्यापारी हुआ करते थे और 47 साल बाद भारत के प्रधानमंत्री बने.

1960 के दशक में आए महेंद्र कौल, हिमांशु कुमार भादुड़ी और ओंकारनाथ श्रीवास्तव. कैलाश बुधवार, भगवान प्रकाश, विश्वदीपक त्रिपाठी और सुभाष वोहरा 1970 के दशक में बीबीसी हिंदी सेवा से जुड़े.

बाद के दशकों में परवेज़ आलम, अचला शर्मा, शिवकांत, ममता गुप्ता, मधुकर उपाध्याय, पंकज पचौरी, सीमा चिश्ती, शाज़ी ज़मां, सलमा ज़ैदी, संजीव श्रीवास्तव आदि कई पत्रकार और प्रसारक आए.

One thought on “अलविदा बीबीसी नमस्कार भारत

  • प्रथमेश

    बीबीसी रेडियो के एनाउंसर की आवाज़ की एक अलग तरंगदैर्ध्य थी जो अनोखी थी, बीबीसी पसंद आने के पीछे एक यह भी आकर्षण था और समाचारों में अलग अलग क्षेत्रों से संवाददाताओं की रिपोर्टिंग उनकी ही आवाज़ में और कभी कभी तो घटनास्थल से सुनना रोमांचक लगता था रिपोर्टिंग में आसपास की आवाजें भी सुनाई देती थीं, यादें रह जाती हैं

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